हल्द्वानी: राज्य में कोरोना वायरस के मामलों की रफ्तार पहले से धीमी हो गई है। इसके चलते अब जिंदगी पहले की तरह पटरी पर लौटने लगी है । कोरोना वायरस के चलते करीब 4 महीने तक रोडवेज का संचालन बंद रहा था। अनलॉक के लागू होने के बाद लगा कि हालात अब सुधरेंगे लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। हल्द्वानी से चलने वाली वॉल्वों बसों को यात्री नहीं मिल रहे हैं। जिस वॉल्वो के लिए लंबी वेटिंग चलती थी उसकी ये हालात सभी को चौका रही है। हालांकि वॉल्वों बसों का किराया अधिक जरूर है लेकिन यह कभी रुकावट नहीं बना। लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि बसों को दूसरे-तीसरे दिन स्टेशन से वापस काठगोदाम डिपो लौटना पड़ रहा है। हालांकि, अनुबंधित होने की वजह से निगम को ज्यादा नुकसान नहीं हो रहा।
बता दें कि नैनीताल रीजन में कुल आठ डिपो आते हैं। इसमें सिर्फ काठगोदाम डिपो के पास वाल्वो बसें हैं। इस डिपो में छह अनुबंधित वाल्वो के अलावा दो एसी गाड़ी है। यह सभी दिल्ली के लिए लोगों को सेवा देती हैं। दिल्ली रूट की बसें हमेशा ही भरी रहती हैं। कोरोना काल के बाद अब माहौल पहले जैसा हो जरूर गया है लेकिन सामान्य बसों के लिए। वॉल्वों बसों को यात्रियों के लिए जूझना पड़ रहा है।
काठगोदाम डिपो इंचार्ज डीएन जोशी ने बताया कि दिसंबर व जनवरी में भी वाल्वो की खूब डिमांड रहती थी। मगर अब बसों का खाली लौटना पड़ रहा है। सुबह आठ बजे वाली गाड़ी का संचालन सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। उन्होंने बताया कि कुमाऊं से सबसे ज्यादा सवारी इसी रूट पर चलती है। सामान्य बस में किराया 370 रुपये है और वाल्वो में दिल्ली का सफर तय करने के लिए यात्री को 819 रुपये चुकाने पड़ते हैं। उसके बावजूद वॉल्वो गाड़ी पूरे साल फुल होकर ही निकलती थी। आरामदायक सफर करने की वजह से यात्री डेढ़ गुना किराया चुकाने पर परहेज नहीं करते थे। मगर अब स्थिति बदल गई है।