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बड़ी खबर: कल भारत वापस जाएंगे विंग कमांडर अभिनंदन, पाकिस्तान के पीएम इमरान ने किया ऐलान


भारत के लिए बड़ी खबर सामने आ रही है। पाकिस्तानी के प्रधानमंत्री इमरान खान ने किया एलान किया है कि उनका देश विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को शुक्रवार को छोड़ देगा। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान  खान ने संसद में यह किया ऐलान। उन्होंने कहा कि हम अपनी तरफ से अमन की पहल करना चाहते हैं। बता दें कि अभिनंदन को बुधवार को एलओसी से पाकिस्तान सेना ने हिरासत में लिया था। भारत ने पायलट की सकुशल रिहाई को लेकर पाकिस्तान पर दबाव बनाया था।

इस कारण से अपने पास अभिनन्दन को नही रख सकता है पाकिस्तान

भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान यह सुनिश्चित करे कि सैनिक को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। बता दें कि जेनेवा समझौते के तहत पाकिस्तान भारत के पायलट को नुकसान नहीं पहुंचा सकता। युद्धबंदियों (POW) के अधिकारों को बरकरार रखने के जेनेवा समझौते (Geneva Convention) में कई नियम दिए गए हैं। जेनेवा समझौते में चार संधियां और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल (मसौदे) शामिल हैं, जिसका मकसद युद्ध के वक्त मानवीय मूल्यों को बनाए रखने के लिए कानून तैयार करना है। मानवता को बरकरार रखने के लिए पहली संधि 1864 में हुई थी। इसके बाद दूसरी और तीसरी संधि 1906 और 1929 में हुई। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों ने मिलकर चौथी संधि की थी। इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रास के मुताबिक जेनेवा समझौते में युद्ध के दौरान गिरफ्तार सैनिकों और घायल लोगों के साथ कैसा बर्ताव करना है इसको लेकर दिशा निर्देश दिए गए हैं। इसमें साफ तौर पर ये बताया गया है कि युद्धबंदियों (POW) के क्या अधिकार हैं। साथ ही समझौते में युद्ध क्षेत्र में घायलों की उचित देखरेख और आम लोगों की सुरक्षा की बात कही गई है। जेनेवा समझौते में दिए गए अनुच्छेद 3 के मुताबिक युद्ध के दौरान घायल होने वाले युद्धबंदी का अच्छे तरीके से उपचार होना चाहिए।

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युद्धबंदियों (POW) के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार नहीं होना चाहिए. उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होना चाहिए. साथ ही सैनिकों को कानूनी सुविधा भी मुहैया करानी होगी। जेनेवा संधि के तहत युद्धबंदियों को डराया-धमकाया नहीं जा सकता।इसके अलावा उन्हें अपमानित नहीं किया जा सकता. इस संधि के मुताबिक युद्धबंदियों (POW) पर मुकदमा चलाया जा सकता है। इसके अलावा युद्ध के बाद युद्धबंदियों को वापस लैटाना होता है. कोई भी देश युद्धबंदियों को लेकर जनता में उत्सुकता पैदा नहीं कर सकता। युद्धबंदियों से सिर्फ उनके नाम, सैन्य पद, नंबर और यूनिट के बारे में पूछा जा सकता है।

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