नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश की बेटियों के पक्ष में एतिहासिक फैसला सुनाया है। अब बेटियों का एनडीए परीक्षा देकर सेना में जाने का सपना पूरा हो सकेगा। संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सेना को फटकार भी लगाई।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। जिसमें कहा गया कि सेना में शामिल होने के लिए दी जाने वाली एनडीए परीक्षा में पुरुषों व महिलाएं में भेदभाव हो रहा है। 10+2 स्तर की शिक्षा ग्रहण कर चुकी महिलाएं ये परीक्षा नहीं दे सकती समान शिक्षा ग्रहण कर चुके पुरुष इसे दे सकते हैं।
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गौरतलब है कि एनडीए परीक्षा देने और योग्यता प्राप्त करने के बाद राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल होने का अवसर मिलता है। जिसके बाद वह भारतीय सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशंड अधिकारी के रूप में नियुक्त हो पाते हैं। मगर महिलाओं को लिंग के आधार पर मौलिक अधिकार के उल्लंघन के साथ ही भेदभाव झेलना पड़ता है।
जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की खंडपीठ में गुरुवार को इस याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान सेना ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि यह एक नीतिगत निर्णय है। जबकि खंडपीठ ने कहा कि यह नीतिगत निर्णय “लिंग भेदभाव” पर आधारित है।
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सुप्रीम कोर्ट ने सेना को फटकार लगाते हुए कहा कि आपको हर बार आदेश पारित करने के लिए न्यायपालिका की आवश्यकता क्यों है। आप न्यायपालिका को आदेश देने के लिए बाध्य कर रहे हैं। यह बेहतर है कि आप (सेना) अदालत के आदेशों को आमंत्रित करने के बजाय इसके लिए ढांचा तैयार करें।
बता दें कि कोर्ट ने अपना अंतरिम आदेश पारित कर दिया है। जिसके अनुसार 5 सितंबर को होने वाली राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) परीक्षा में महिलाओं को बैठने की अनुमति दी गई है।
हालांकि ये भी कहा है कि दाखिले कोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन होंगे। इतना ही नहीं कोर्ट ने से कहा कि भारतीय नौसेना और वायु सेना ने पहले ही प्रावधान कर दिए हैं, लेकिन भारतीय सेना अभी भी पीछे है।
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