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आरकॉम और एयरसेल का होगा विलय, 65,000 करोड़ रुपये वाली नई कंपनी बनेगी


नई दिल्ली। जियो के लांच होने के बाद अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस ने बुधवार को  दूरसंचार कंपनी एयरसेल के साथ मिलने का फैसले पर सहमति जतायी। दोनो कंपनियों के मिलने से ये कंपनी देश की चौथी सबसे बड़ी दूरंसचार यूनिट के तौर पर सामने आएंगी और जिसकी संपत्ति 65,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होगी। दोनो कंपनियो के मिलने से दूरसंचार क्षेत्र में ये सबसे बड़ा युनिफिकेशन है।इस युनिफिकेशन के तहत दोनो कंपनियों बराबर की हिस्सेदारी होगी।

रिलायंस कम्युनिकेशंस के चेयरमैन अनिल अंबानी ने इस डील की सहमति के बाद कहा कि हम अपने पार्टनर्स एमसीबी (मैक्सिस कम्युनिकेशंस बीएचडी) के साथ भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में युनिफिकेशन की शुरुआत करके खुश हैं। दोनों कंपनियों के साथ आने के बाद जो नई फर्म बनेगी  वो देश की चौथी सबसे बड़ी टेलीकॉम ऑपरेटर होगी। इस फर्स के पास देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल के बाद सबसे ज्यादा स्पेक्ट्रम होगा। इकनॉमिक टाइम्स ने 13 सितंबर को जानकारी दी थी कि बुधवार को आरकॉम की बोर्ड मीटिंग के बाद इस सौदे का ऐलान हो सकता है।

इस सौदे के बाद एयरसेल की मालिक मैक्सिस ने कहा कि हमें भारत और भारतीय टेलीकॉम क्षेत्र की लॉन्ग टर्म में ग्रोथ पर भरोसा है। ये सौदा इसका प्रतीक है। इसी कारण हमने मिलन के बाद बनने वाली कंपनी में और निवेश करने का फैसला किया है। मौजूदा समय में भारत के टेलीकॉम सेक्टर में  9 कंपनियां हैं। माना जा रहा है कि इसमें कंसॉलिडेशन बढ़ेगा क्योंकि छोटी कंपनियों के लिए स्पेक्ट्रम की कॉस्ट बढ़ने से मुकाबला करना कठिन हो जाएगा। ये कंपनियां अभी प्राइस पर देश भर में सर्विस नहीं दे सकतीं क्योंकि इससे उन्हें मुनाफा नहीं होगा। टेलीकॉम सेक्टर की नई कंपनी रिलायंस जियो ने सनसनी फैला दी है।वो लाइफ टाइम के लिए फ्री वॉयस सर्विस दे रही है और डेटा के लिए भी मार्केट रेट से काफी कम पैसे ले रही है।जियो के फैसले से  पुरानी टेलीकॉम कंपनियों के लिए चुनौती काफी बढ़ गई है, जो 75 पर्सेंट रेवेन्यू वॉयस सर्विस से हासिल करती हैं।आरकॉम और एयरसेल के मर्जर के बाद बनने वाली कंपनी की एसेट्स 65,000 करोड़ रुपये होगी। दावा किया गया है कि दोनों कंपनियों के साथ मिलने से 20,000 करोड़ रुपये का बेनेफिट होगा। यह सौदा 2017 में पूरा हो सकता है। आरकॉम ने कहा कि डील के पूरा होने में 6 महीने लगने की उम्मीद है। दोनों कंपनियां नई फर्म को मिलकर चलाएंगी। अभी इसका नाम और ब्रांड तय नहीं हुआ है।

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