नई दिल्ली: भारतीय महिला टीम ने देश को विश्वकप देने का सपना अधूरा रह गया। दूसरी बार भारतीय टीम फाइनल में पहुंची थी जहां उसे हार का सामना करना पड़ा। 2005 में भारतीय टीम ने फाइनल तक का सफर तय किया था। फाइनल में इंग्लैंड ने भारत को 9 रनों से मात देते हुए चौथी बार विश्वकप का खिताब अपने नाम किया। भारत को जीत के लिए 229 रनों का लक्ष्य मिला था। बता दे कि एक समय भारतीय टीम का स्कोर 191 रनों पर तीन विकेट था। पूनम राउत के आउट होते ही टीम तास के पत्तों की तरह बिखर गई। भारतीय टीम के लिए पूनम ने 86 रनों की पारी खेली। वहीं हमरप्रित कौर ने 51 रन बनाए।
लॉर्ड्स मैदान पर खेले गए फाइनल में इग्लैंड ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया और निर्धारित 50 ओवरों में सात विकेट खोकर 228 रन बनाए।पहले बल्लेबाजी करने उतरी इंग्लैंड को लॉरेन विनफील्ड (24) और टैमी बेयुमोंट (23) रन बनाए व टीम को ठोस शुरूआत दी। इंग्लैंड की तरफ से नताली स्काइवर ने सर्वाधिक 51 रन बनाए जबकि सारा टेलर 45 रनों का योगदान देने में सफल रहीं।अर्धशतक पूरा करने के बाद नताली भी पवेलियन लौट गईं। वह झूलन की गेंद पर पगबाधा करार दे दी गईं। नताली 164 के कुल स्कोर पर आउट हुईं। उन्होंने अपनी पारी में 68 गेंदों का सामना करते हुए पांच बार गेंद को सीमा रेखा के पार पहुंचाया। लग रहा था कि इंग्लैंड 200 का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाएगी, लेकिन कैथरीन ब्रंट (34) और जैनी गन (नाबाद 25) ने टीम को 200 के पास पहुंचाया। 196 के कुल स्कोर पर ब्रंट, दीप्ति शर्मा की सीधी थ्रो शिकार हो कर पवेलियन लौट लीं। गन ने इसके बाद लॉरा मार्श (14) के साथ मिलकर टीम को 228 के स्कोर तक पहुंचाया। भारत की तरफ से झूलन ने सबसे ज्यादा तीन विकेट लिए। पूनम यादव दो विकेट लेने में सफल रहीं। अलावा राजेश्वरी गायकवाड़ के हिस्से एक सफलता आई।