देहरादून: समाज को सफल रास्ता दिखाना और उसके प्रति काम करना बहुत बड़ा काम है। उत्तराखण्ड में कुछ प्रशासनिक अधिकारी इसी मुहिम में जुट़े हुए है। वह अपनी कार्यशैली से पहले युवाओं को समाज के प्रति वफादार और उसके प्रति अपनी जिम्मेदारियों का अहसास करवा रहे है और उसके बाद उनके लक्ष्य प्राप्ति में मदद भी कर रहे है। उत्तराखण्ड के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर किसी से छुपी नहीं है। छात्रों को किसी परीक्षा की तैयारी के लिए अन्य शहर की ओर रुक करना पड़ता है। छात्रों की परेशानी को रुद्रप्रयाग में एसडीएम सदर के पद पर तैनात मुक्ता मिश्र ने समझा और वो इसे दूर करने में जुट गई है।
दरअसल मुक्ता मिश्र ने गांव के छात्रों को कॉम्पिटिटिव परीक्षाओं की तैयारियों के लिए कोचिंग देना शुरू कर दिया है। वह पहले अपनी जिले प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाती है और फिर बच्चों को पढ़ाती हैं। मौजूदा वक्त में मुक्ता मिश्र करीब 50 बच्चों को कोचिंग दे रही हैं। मुक्ता की इस मुहिम युवाओं को खासा प्रभावित कर रही है।पिछले चार माह से वह राजकीय इंटर कॉलेज रुद्रप्रयाग में सुबह आठ से दस बजे तक नियमित कोचिंग कक्षाएं संचालित कर रही हैं। वह छात्रों को सिविल सर्विस, इंजीनियरिंग, मेडिकल आदि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं।
आपको बता दे कि एसडीएम मुक्ता मिश्र मूलरूप से चमोली जिले के ग्राम देवाल की रहने वाली हैं। वह साल 2014 बैच की पीएसीएस अधिकारी हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर देवाल से हुई। इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। बचपन साधारण पहाड़ी परिवार में बीता, संसाधन भी सीमित ही रहे। बावजूद इसके मेहनत और लगन से उन्होंने यह मुकाम हासिल किया। जिस रास्ते पर एसडीएम मुक्ता ने सफर किया अब वो उसी रास्ते पर गांव के बच्चों को चलने की प्ररेणा दे रही हैं। एसडीएम मुक्ता के अनुसार यदि समय का सही सदुपयोग कर लिया तो मंजिल की राह आसान हो जाती है। मैंने बचपन में समय को सबसे ज्यादा महत्व दिया। पीसीएस परीक्षा पास करने से पहले बैंक पीओ समेत अन्य नौकरियां भी की, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी बनने के अपने लक्ष्य से नहीं डिगी। मैं चाहती हूं कि बच्चे भी इस बात को समझें और जीवन में उन्नति करें।’ उन्होंने कहा कि गांव में इंटर के बाद छात्रों के पास किसी परीक्षा की तैयारी के लिए कोई संसाधन नहीं हैं।