नैनीताल: सेना का सिपाही देश की सेवा में अपनी जिन्दगी निछावर कर देता है। सेना के सिपाही का नाम आते ही आप सब लोग उन्हें एक सम्मान और गर्व की नजर से देखते है। आज हम ऐसे सिपाही के बारे में बताने जा रहे जो बॉर्डर में देश की रक्षा के साथ-साथ एक मधुर संगीतकार ,शानदार पेन्टर और एक कवि भी है। पंकज सम्मल देश की सेवा के साथ अपनी रुचि को भी देश के सामने लाने चाहते है। पंकज से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि जिस तरह भारतीय सेना ने उन्हें एक फौजी की पहचान दी है और अब वो अपने संगीत,पेंटिंग और कविता लिखने की कला से अपने देश का नाम रोशन करना चाहते है। उन्होंने बताया कि उन्हें बचपन से कला में काफी रूचि थी और उस रूचि को निखारने में उनके फौजी दोस्तों ने काफी मदद की। पंकज ने बताया कि बॉर्डर में तैनाती के दौरान भी वो बर्फ में भी चित्र बनाते है। उन्होंने बताया कि चित्र बनाने की शुरूआत उन्होंने मिट्टी और पत्थर से की। भारतीय सेना के इस ऑलराउन्डर ने बताया कि उनकी ये गतिविधिया बॉर्डर में तैनाती के वक्त उन्हें तनाव से दवाब से दूर रखती है। पंकज ने बताया कि कविता लिखने का शौक जोश में बदलने का मुख्य कारण फौज की वर्दी है।
उन्होंने बताया कि वो रिटायरमेंट के बाद कला में भविष्य बनाना चाहते है। पंकज के अनुसार वो उत्तराखण्ड के युवाओं को कला की ओर ले जाना चाहते है जिसके लिए वो पेंटिंग स्कूल खोलना चाहते है। उन्होंने कहा कि अभिभावक कला को ज्यादा महत्व नही देते है जिससे कला हमारे प्रदेश से गायब हो रही है। उन्होंने कहा कि कला हमारे देश की संस्कृति है जिससे जीवित रखना हम सभी भारतीयों का दायित्व है। आपकों बता दे कि पंकज सियाचिन के बॉर्डर पर भी तैनात रह चुके है। पंकज ने कहा कि छुट्टियों के वक्त वो अपनी कला को खासा वक्त देते है। वो इंडियास गोट टैलेंट की तैयारी कर रहे है ताकि वो अपनी कला की पहचान को पूरे देश के सामने ला पाए।