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शहर में पर्व की तरह बनी पंडित गोविन्द बल्लभ पंत जी की 129वी जयन्ती, वित्त मंत्री इन्दिरा हृदयेश ने पंतजी को कहा पर्वत पुत्र

हल्द्वानी।  भारत रत्न पंडित गोविन्द बल्लभ पंत की 129वी जयन्ती  हल्द्वानी में गौरव दिवस के रूप मे मनायी गई। तिकोनिया स्थित पंत पार्क में पंडित गोविन्द बल्लभ पंत की मूर्ति पर  वित्तमंत्री डा0 श्रीमती इन्दिरा हृदयेश और श्रममंत्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल ने संयुक्त रूप से माल्यापर्ण किया। कार्यक्रम में छात्रछात्राओं ने देशभक्ति पर आधारित गीत प्रस्तुत किए। कार्यक्रम को वित्त मंत्री डा0 श्रीमती इन्दिरा हृदयेश ने सम्बोधित करते हुए कहा कि गोविन्द बल्लभ पंत को हिमालय के पर्वत पुत्र के नाम से जाना जाता है, वे हिमालय जैसी शान्ति और चट्टान की तरह अडिग और जनता के प्रेरणा स्रोत थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन अपनी मातृभूमि और उसकी प्रगति के समर्पित कर दिया था।  पंडित गोविन्द बल्लभ पंत कठिनाईयों की परवाह न करते हुए समर्पण की भावना से कार्य करते थे। वे सदैव आशावादी थे। उनके व्यक्तित्व को देखकर हम सभी को देशराष्ट्रप्रदेश हित में कार्य करना चाहिए।

 

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पंडित पंत 1937 से लेकर 1939 तक वह ब्रिटिश भारत में संयुक्त प्रान्त उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। इसके बाद दोबारा उन्हें यही दायित्व पुनः सौपा गया। वो 01 अप्रैल 1946 से 15 अगस्त 1947 तक उत्तर प्रदेश के दोबारा मुख्यमंत्री रहे। भारत का जब  संविधान बन गया और संयुक्त प्रान्त का नाम बदलकर उत्तरप्रदेश रखा गया, तो वह तीसरी बार 26 जनवरी 1950 से लेकर 27 दिसम्बर 1954 तक मुख्यमंत्री रहे। सरदार पटेल की मृत्यु के बाद उन्हें गृह मंत्रालय में भारत सरकार के प्रमुख का दायित्व दिया गया। भारत सरकार में उनका कार्यकाल 1955 से लेकर 1961 तक रहा। 07 मई 1961 को हृदयघात के कारण गोविन्द बल्लभ पंत का निधन हुआ। उन्होनें बताया कि भारतरत्न से सम्मानित पंडित गोविन्द बल्लभ पंत उत्तराखण्ड प्रदेश के साथ ही सम्पूर्ण देश के गौरव थे। उनके द्वारा देश के निर्माण में किए गए योगदान को भारतवासी कभी भुला नहीं सकते।

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श्रममंत्री हरीश चन्द्र दुर्गापाल ने अपने संबोधन में पंडित पंत जी के जीवन परिचय को बताते हुए कहा कि पंडित पंत जी महात्मा गांधी के जीवन दर्शन को देश की जनशक्ति में आत्मिक ऊर्जा का स्रोत मानते थे। पंडित गोविन्द बल्लभ पंत जी आज भी प्रशासकों के आदर्श हैं। पंडित पंत जी चिंतक, विचारक, मनीषी एवं समाजसुधारक ही नहीं अपितु साहित्यकार भी थे। उन्होनें साहित्य के माध्यम से समाज की अन्र्तवेदना को जनमानस तक पहुंचाया। उन्होनें राष्ट्रीय एकता के लिए अपनी लेखनी उठायी, प्रबुद्ध वर्ग के मार्गदर्शक पंत जी ने सभी मंचों से मानवतावादी निष्कर्षों को प्रसारित किया। राष्ट्रीय चेतना के प्रबल समर्थक पंत जी ने गरीबों के दर्द को बांटा और आर्थिक विषमता मिटाने का अथक प्रयास किये। हमें पंडित पंत जी के आदर्शों, बताये रास्तों पर चलना होगा, तभी हमारा राष्ट्र, प्रदेश नित उन्नति के ओर अग्रसर हो सकता है। अध्यक्ष जिला पंचायत सुमित्रा प्रसाद ने पंडित गोविन्द पंत जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि पंत जी का अपना ही एक अद्वितीय स्थान था। उनकी उपलब्धि चारो दिशाओं में प्रदर्शित होती है। वह कुशाग्र बुद्धि के धनी थे। उनके प्रयासों से ही हमारे देश ने अनेक राष्ट्रों में एक ऊंचा स्थान प्राप्त किया औेर अपनी एकता और मूलभूत जीवन के मूल्यों को बनाये रखने में सफल हुआ है। पंडित पंत जी का जन्म दिवस तभी सफल एवं सार्थक होगा जब हम उनके मूल्यों का अनुकरण कर उनके दिये मूल्यों को विरासत के रूप में सुरक्षित रखे। कार्यक्रम संयोजिका रेनु जोशी द्वारा पंडित गोविन्द बल्लभ पंत की जीवनी पर प्रकाश डाला गया एवं अभिभाषण पढा गया। श्रीमती जोशी द्वारा बताया गया कि समिति द्वारा इस अवसर पर विद्यालयों में निबंध, वाद विवाद एवं चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की गयी। उन्होने बताया कि समिति द्वारा पंडित पंत के गुणों को जनसाधारण तक पहुचाना है, ताकि वह इन गुणों को अपने जीवन में आत्मसात कर सकेें। कार्यक्रम में ब्लाक प्रमुख भोला दत्त भटट, खजान पाण्डे,हेमन्त कबडवाल,डीके पंत,एनबी गुणवन्त, हरीश मेहता,मुकुल बलुटिया,प्रमोद बोरा, विशाल नेगी,सोहेल सिद्धिकी, मयंक भटट,लता कुंजवाल, मो0 अनवर, ताराचन्द्र गुररानी, नवीन वर्मा, विनोद दानी, नवीन दानी,एके कपिल, उमेश कबडवाल, कैलाश बमेठा, धीरज वर्मा, दया सनवाल, सीमा भटनागर, मनीषा पंत, हर्षित जोशी, गौरव आर्या, अनिता पाण्डे, मोहित मिश्रा, संजय रावत,रविन्दर रावत के अलावा सिटी मजिस्टेट हरवीर सिह, अधिशासी अभियन्ता लोनिवि रणजीत सिह रावत सहित बडी संख्या में गणमान्य नागरिक मौजूद थे।कार्यक्रम का संचालन अशोक खुलवे द्वारा किया गया।

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