हल्द्वानी: महिलाओं और बेटियों के लिए बेहतर समाज प्रदान करना हर व्यक्ति का कर्तव्य होना चाहिए। बहरहाल भारत देश में स्थिति गंभीर है। हर दिन ना जाने कितनी ही बेटियों को दुष्कर्म जैसे संकट का सामना करना पड़ता है। देवभूमि की बात करें तो, यहां भी दरिंदों ने माहौल खराब किया हुआ है। आरटीआई के मुताबिक उत्तराखंड में हर साल औसतन 208 रेप होते हैं।
यह स्थिति जितनी गंभीर नज़र आती है, उससे कहीं ज़्यादा गंभीर है। दरअसल हल्द्वानी के तिकोनिया में रहने वाले हेमंत गौनिया ने पुलिस मुख्यालय से आरटीआई लगवाई थी। इस आरटीआई में उन्होंने राज्य बनने के बाद से यहां हुए दुष्कर्म संबंधी मामलों की जानकारी मांगी थी। रिपोर्ट के आंकड़े डराने वाले हैं।
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आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार राज्य बनने के बाद से अब तक उत्तराखंड में दुष्कर्म के 3956 मामले सामने आए हैं। यानी हर साल लगभग 208 घटनाओं ने अंजाम लिया है। स्थिति तब और ज़्यादा गंभीर नज़र आती है जब यह मालूम पड़ता है कि यह मामले भी वो हैं जो पुलिस में दर्ज हैं। इसके अलावा कितने मामले तो ऐसे ही दब जाते हैं।
बहरहाल आंकड़ों का विश्लेषण करें तो साल दर साल दर साल का हाल समझ आता है। दुष्कर्म के सबसे कम (74) मामले 2001 में दर्ज हुए। जबकि सबसे ज़्यादा घटनाओं (561) ने 2018 में अंजाम लिया। सन 2001 के अलावा केवल 2008 में ही यह आंकड़ा 100 के पार नहीं गया। आपको बता दें कि पहाड़ी क्षेत्रों के बजाय मैदानी क्षेत्रों में ऐसी घटनाएं ज़्यादा हुई हैं। लेकिन पहले की तुलना में पहाड़ पर भी ग्राफ बढ़ा है।
ऐसे में यह बहुत गंभीर विषय है। इतनी ही नहीं आरटीआई में एसिड अटैक की भी जानकारी सामने आई है। जानकारी के अनुसार 2017 से 2019 के बीच महिलाओं पर एसिड फेंकने के लगभग सात मामले सामने आए।
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