देहरादून: चारधाम यात्रा शुरू हो गई है। केदारनाथ धाम के कपाट के बाद बदरीनाथ धाम के कपाट भी खुल गए हैं। बृहस्पतिवार को सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर वृष लग्न में बदरीनाथ धाम के कपाट खुले। बर्फबारी के बीच कपाट खुले और पहले दिन पुष्पवर्षा भी हुई। चारों ओर वैदिक मंत्रोचारण और जय बदरीनाथ का जयघोष सुनाई दे रहा था।
कपाट खुलने के बाद कुछ ऐसा देखा गया है, जो शुभसंकेत है और इसे चमत्कार कहना गलत नहीं होगा। कपाट बंद करते हुए भगवान बदरीनाथ को ओढ़ाए गए घृत कंबल पर इस बार भी घी ताजा मिला है। तीर्थ पुरोहित इसे देश के लिए शुभ संकेत मान रहे हैं। अगर कंबल का घी अधिक नहीं सूखा है तो उस साल देश में खुशहाली रहेगी। अगर कंबल का घी सूख गया या कम हो गया तो उस साल देश में सूखा या अत्यधिक बारिश की आशंका रहती है।
कपाट बंद होने पर भगवान बदरीनाथ को घी में लिपटा कंबल ओढ़ाया जाता है। इस कंबल को माणा गांव की महिलाएं तैयार करती हैं। कन्याएं और सुहागिन इस कंबल को एक दिन में तैयार करतीं हैं। बदरीनाथ के धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल ने बताया कि घृतकंबल पर घी ताजा मिलने का मतलब है कि देश में खुशहाली बनी रहेगी। बीते वर्ष भी कंबल पर लगा घी ताजा था। बाहर इतनी बर्फबारी के बाद ठंड होने के बाद भी अगर घी सूखता नहीं है तो यह किसी चमत्कार से कम नहीं है।
उन्होंने बताया कि जिस दिन ये घृत कंबल तैयार किया जाता है, उस दिन कन्याएं और महिलाएं व्रत रखतीं हैं। एक घृत कंबल (घी में भिगोया ऊन का कंबल) को भगवान बदरीनाथ को ओढ़ाया जाता है। शीतकाल के बाद जब कपाट खोले जाते हैं तो सबसे पहले घी में लिपटे इस कंबल को हटाया जाता है।