चंपावत: देश व प्रदेश को हर स्तर पर गौरवान्वित करवाने वाली राजधानी दून की दिव्यांग शूटर दिलराज कौर आज रोजी रोटी के लिए नमकीन और बिस्किट बेचने का सहारा ले रही हैं। बीते डेढ़ दशक में इतना नाम होने के बावजूद आज ये हालत हो जाना, वाकई देख कर आश्चर्य होता है।
दिलराज कौर गांधी पार्क के बाहर नमकीन और बिस्किट बेचती हैं। विभिन्न प्रतियोगिताओं में 24 स्वर्ण, आठ रजत और तीन कांस्य पदक जीत चुकी दिलराज कौर का कहना है कि प्रदेश और देश का नाम हर जगह पहुंचाने के बाद भी उन्हें एक नौकरी नहीं मिल सकी।
वह अब खुद ही अपने रोजगार का बंदोबस्त करने के लिए घर से निकल पड़ी हैं। दिलराज कौर ने ये भी कहा कि वे आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रही हैं। लिहाजा तीन-चार महीने घर के पास अस्थायी दुकान चलाने के बाद जब कोई फायदा नहीं हुआ तो उन्होंने गांधी पार्क के पास का रुख किया है।
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दिलराज के पिता सरकारी कर्मचारी थे। बता दें कि 2019 में जब पिता का निधन हुआ तो उनकी सरकारी पेंशन व भाई तेजिंदर सिंह की प्राइवेट नौकरी से किसी तरह घऱ का खर्च चलता रहा। लेकिन फरवरी में भाई के गुज़र जाने के बाद दिलराज और उसकी मां अकेली रह गईं।
कायदे से जानकारों की मानें तो दिलराज कौर को खेल या दिव्यांग कोटे से नौकरी मिलनी चाहिए थी। लेकिन दिलराज के मुताबिक हर स्तर पर इस बारे में गुहार लगाने के बाद भी कुछ नहीं हो सका। उत्तराखंड स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में 2016 से 2021 तक चार स्वर्ण पदक व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी एक रजत पदक हासिल करने वाली दिलराज अकेली नहीं हैं। ऐसे और भी खिलाड़ी जूझ रहे हैं।
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