हल्द्वानी: कुमाऊं अब विकास की डोर पकड़ धीरे धीरे आगे बढ़ रहा है। उत्तराखंड सरकार द्वारा समूचे प्रदेश में पर्यटन को अधिक महत्व दिया जा रहा है। ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार मिलने के साथ पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं भी मुहैया कराई जा सकें। इसी कड़ी में अब कुमाऊं में चार हेलीपोर्ट बनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं।
हेलीपोर्ट एक तरह का मिनी एयरपोर्ट ही होता है। जहां हेलीपैड में केवल एक ही हेलीकॉप्टर उतर सकता है। वहीं ईई अशोक कुमार के मुताबिक हेलीपोर्ट में दो से ज़्यादा हेलीकॉप्टर उतर सकते हैं। इसके अलावा यहां रेस्ट रूम, बाथरूम, आदि व्यवस्थाएं भी होंगी। सिक्योरिटी सिस्टम को भी जबरदस्त रखा जाएगा।
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उत्तराखंड सरकार द्वारा पर्यटन कारोबार को बढ़ाने के लिए इस प्रोजेक्ट पर फोकस किया जा रहा है। लोनिवि को सर्वे करने और डीपीआर बनाने की ज़िम्मेदारी भी दी गई है। प्रदेश में हो रहे सड़क निर्माण के साथ ही अब हवाई सेवाओं को दुरुस्त करना भी पर्यटन को बढ़ाने की दिशा में बेहद अहम कड़ी है।
इसी कड़ी को मजबूत करने के लिए अब उत्तराखंड में कुल दस हेलीपोर्ट तैयार किए जाएंगे। जिसमें से चार कुमाऊं में बनेंगे। कुमाऊं के हल्द्वानी नैनीताल, अल्मोड़ा और पिथौरागाढ़ में हेलीपोर्ट का निर्माण होगा। इसके अलावा उत्तराखंड में गोपेश्वर, गौचर, नई टिहरी, श्रीनगर, चिन्यालीसौंण और पुरोला में भी इसका निर्माण होगा।
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उत्तराखंड सिविल एविएशन डेवलेपमेंट अथॉरिटी के निर्देश पर प्रदेश के हेलीपैड को हेलीपोर्ट में बदला जाना है। कुछ जगों पर जमीन का अभाव है, वहां नई जमीन चयनित होगी। हल्द्वानी में गौलापार स्टेडियम के नजदूक निर्मित हेलीपैड को विस्तार किया जाएगा। वहीं नैनीताल व हिमालयी क्षेत्र के नजदीक अस्कोट में भी हेलीपोर्ट बनने से सैलानियों को खासा फायदा पहुंचेगा।
शासन स्तर पर बैठक के बाद ही आगे के काम के निर्देश जारी होंगे। लोनिवि के ईई अशोक कुमार ने बताया कि गौलापार व नैनीताल में हेलीपोर्ट बनाने के लिए सर्वे का ज़िम्मा हल्द्वानी डिवीजन को दिया गया है। इसके अलावा कुमाऊं और गढ़वाल के कई शहरों में भी हेलीपोर्ट को लेकर सर्वे चल रहा है।
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