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कंगना रनौत के ट्वीट का दादी ने दिया जवाब, काम नहीं है तो मेरे खेतों में मजदूरी कर सकती हैं…


नई दिल्ली: हर बडे़ मुद्दों में अपना पक्ष रखने वाली कंगना रनौत इस बीच बेहद सुर्खियों में चल रही हैं। देश में चल रहे किसानों के आंदोलन को लेकर भी उन्होंने अपनी बात रखी है और उन्हे जो जवाब मिला, उसके बाद वह ट्रोल हो गई। कंगना ने अपने एक ट्वीट के जरीये किसान प्रोटेस्ट में शामिल बुजुर्ग किसान दादी को ”शाहीन बाग की बिलकिस बानो बताया जिन्हें काम करने की दिहाडी दी जाती है। आपको बता दें कि बिलकिस बानो वह बुजुर्ग महिला है जो शाहीन बाग में हुई CAA-NRC प्रोटेस्ट का अहम हिस्सा बनी थी। कंगना ने बिना सच्चाई जाने किसान प्रोटेस्ट से जुड़े एक फेक ट्वीट को रीट्वीट किया था।

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ट्रोल होने के बाद वह इसको डिलीट कर दिया। अपने ट्वीट पर उन्होने लिखा है लिखा था, ”हा हा हा ये वही दादी हैं जिन्हें टाइम मैग्जीन ने भारत के सबसे पावरफुल लोगों में शामिल किया था। ये 100 रुपये में अवेलेबल हैं। पाकिस्तान के पत्रकारों ने इंटरनैशनल पीआर को भारत के लिए शर्मनाक तरीके से हायर कर लिया है। हमें अपने ऐसे लोग चाहिए जो हमारे लिए इंटरनैशनली आवाज उठा सकें।” हालांकि लोगों ने इसका स्क्रीनशॉट ले लिया है और उन्हें तब से लगातार ट्रोल किया जा रहा है।

कंगना को दादी ने अपने ही अंदाज ने जवाब दिया। बठिंडा जिले के गांव जंडियां की रहने वाली बुजुर्ग महिंदर कौर ने कहा कि उनके पास 13 एकड़ जमीन है। उन्हें 100 रुपये लेकर किसी और के लिए काम करने की जरूरत नहीं है। हां, अगर कोरोना के कारण कंगना के पास काम नहीं है तो उनके खेतों में अन्य मजदूरों के साथ काम कर सकती है। बुजुर्ग म‍हिला महिंदर कौर कहती हैं कि उनकी उम्र 87 वर्ष है।

वह आज भी खेती का काम करती हैं। उन्होंने हर आंदोलन में किसानों के लिए आवाज उठाई है और आगे भी ऐसा ही करती रहेंगी। वह किसान हैं इसलिए इस आंदोलन में अपने किसान भाइयों के साथ हूं। किसानी बहुत बड़ी बात है। यह कोई छोटा काम नहीं है। खेती का हर तरह का काम किया है। दातरी से गेहूं की कटाई से लेकर कस्सी तक चलाई है। आज भी अपने घर पर कई तरह की सब्जियां खुद लगाई हुई हैं।

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महिंदर कौर ने कहा कि कंगना को पंजाब और पंजाब के किसानों की समझ नहीं है। समझ होती तो ऐसी घटिया बात कभी नहीं करती। ऐसी टिप्पणियां दिमागी दिवालियापन को दर्शाती है। वह सरकार की भक्ति में कुछ भी बोल रही हैं। उन्हें इतना भी पता नहीं कि किसके बारे में क्या बोलना चाहिए। जब मुंबई में उनके दफ्तर को तोड़ा गया था तो पूरे पंजाब ने उनका साथ दिया और हमदर्दी जताई थी लेकिन वह इंसानियत की परिभाषा से दूर नजर आ रही है।

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