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दीपावली पर मिलावटखोरों से सतर्क रहें, ऐसे करें असली और नकली में अंतर

हल्द्वानी: त्योहारों के सीजन में रौनकों के साथ कुछ चिंताएं भी आती हैं। यह चिंताएं मिलावटखोरों की दी होती हैं। खासकर दीपावली व भाईदूज त्योहार पर कई बार मिलावट वाली मिठाई या खाद्य पदार्थों के पकड़े जाने के मामले सामने आए हैं। कई दफा लोग इनका सेवन कर बीमार पड़े हैं। ऐसे में त्योहारों को देखते हुए लोगों को मिलावट का डर सताने लगता है।

कुछ लोग तो अब घरों पर ही मावा लाकर मिठाइयां बनाने लगे हैं। मगर मिलावटखोरों ने मावा को भी मिलावट से दूर नहीं रखा। मावा अगर नकली निकलता है तो त्योहार का मजा पूरा का पूरा खराब हो जाता है। गौरतलब है कि मावा खरीदते समय उसकी पहचान करना अति आवश्यक है।

बता दें कि एक किलो दूध से तकरीबन 200 ग्राम मावा ही निकलता है। अब चूंकि इससे व्यापारियों को उतना लाभ नहीं होता इसलिए मिलावटी मावा बनाया जाता है। मिलावट के लिए अक्सर शकरकंद, सिंघाड़े का आटा, आलू और मैदा का इस्तेमाल किया जाता है।स्टार्च, आयोडीन के साथ ही आलू मिलाया जाता है। आलू और आटा वजन के लिए मिलाया जाता है। इसे असली दिखाने के लिए केमिकल, मिल्क पाउडर में वनस्पति घी मिलाते हैं।

पहचान कैसे करें

गौरतलब है कि अपनी सेहत सही रखने के लिए और त्योहारों का मजा किरकिरा ना करने के लिए आपको असली व नकली मावे की पहतान होनी जरूरी है। इसे आसानी से हथेली पर रख कर पहचाना जा सकता है। दरअसल हथेली पर रखने पर यदि मावा तेल छोड़ता है तो मिलावट नहीं है। इसके अलावा मावे को हल्के गुनगुने पानी में डालकर थोड़ा चने का आटा और चुटकी भर हल्दी मिला दें।

यदि रंग गुलाबी आता है तो समझिये इसमें मिलावट है। वरना यह असली है। खास ध्यान रखने योग्य बात यह है कि असली मावा मुलायम और नकली दरदरा होता है। जहां असली मावा स्वाद में कच्चे दूध जैसा होता है तो वहीं नकली मावा चखने में कसैला होता है। नकली मावा पानी में डालकर फेंटने पर दानेदार टुकड़ों में अलग हो जाता है। बता दें कि इसके सेवन से लिवर में परेशानी होती है। सेहत पर बुरा असर पड़ता है। आप त्योहारों में नकली असली मावे की पहचान के लिए उक्त बातों का ध्यान जरूर रखें।

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