हल्द्वानी: तीन दिन पहले आईटीबीपी में भर्ती होने के लिए आए नानकमत्ता के लापता छात्र का शव संदिग्ध परिस्थितियों में आईटीबीपी परिसर से बरामद हुआ है। इस खबर के सामने आने के बाद युवक के गांव में कोहराम मच गया। परिजनों और ग्रामीणों ने थाने में जमकर हंगामा किया। थानाध्यक्ष ने मामले की पूरी जांच करने के बात कही, तब जाकर लोगों का गुस्सा शांत हुआ।
खबर के अनुसार नगर के वार्ड नंबर सात अनाज मंडी निवासी ओमप्रकाश सक्सेना का पुत्र सूरज सक्सेना (24) श्री गुरुनानक देव स्नाकोत्तर महाविद्यालय में एमए प्रथम वर्ष का छात्र था। सूरज 15 अगस्त की शाम को घर से थाना लालकुआं के हल्दूचौड़ स्थित आईटीबीपी में भर्ती होने अपने साथियों के साथ गया था। 16 अगस्त को सूरज ने साथियों के साथ भर्ती में शामिल होने के लिए दौड़ लगाई थी। दौड़ में वह सफल हो गया था। दोस्तों की मानें तो दौड़ के बाद टोकन जमा करने को लेकर उसका आईटीबीपी भर्ती के कुछ अधिकारियों के साथ विवाद हो गया था।
इसके बाद सूरज लापता हो गया। जब वो घर नहीं पहुंचा तो परिजनों ने नानकमत्ता थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने का प्रयास किया लेकिन मामला लालकुआं थाना क्षेत्र का होने से उन्हें लालकुआं कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराने की सलाह देकर पुलिस ने वापस भेज दिया। परिजन लालकुआं पहुंचे तो पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज नहीं की थी। रविवार शाम को लालकुआं पुलिस ने नानकमत्ता पुलिस को सूचना दी कि सूरज का शव सदिग्ध अवस्था में आईटीबीपी परिसर से बरामद हुआ है।
इसके बाद हंगामा हो गया। परिजनों और मोहल्लेवासियों ने नानकमत्ता पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए थानाध्यक्ष कमलेश भट्ट का घेराव कर दिया। थानाध्यक्ष भट्ट और नगर पंचायत अध्यक्ष प्रेम सिंह टुरना ने आक्रोशित लोगों को बमुश्किल शांत किया। थानाध्यक्ष और चेयरमैन परिजनों के साथ हल्दूचौड़ रवाना हो गए। सूरज की मौत की सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। पिता ओम प्रकाश सक्सेना तथा मां वैशाखा, भाई गोविंदा सक्सेना तथा बहन सपना को इस बात का विश्वास नही हो रहा है कि सूरज अब इस दुनिया में नही रहा ।
सूरज के गरीब परिवार से था। उसके पिता फल और सब्जी का ठेला लगते थे। मां भी मजदूरी करती था। सूरज सक्सेना सरकारी नौकरी हासिल कर परिवार की स्थिति को ठीक करने के सपने देखता था जो अब कभी पूरा नहीं हे पाएगा। मृतक सूरज ने बीए उत्तीर्ण करने के बाद एमए प्रथम में दाखिला कराया था। अपने माता-पिता को सरकारी नौकरी कर उनकी गरीबी दूर करने के साथ उन्हें सुख देने का वादा किया था लेकिन किसी को क्या पता था कि सूरज अपना वादा कभी पूरा नहीं कर पाएगा।