नई दिल्ली: अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले की चर्चा पूरे देश में चल रही है। उन्होंने आत्महत्या की या फिर ये हत्या है… इस पर पुलिस जांच कर रही है। पुलिस ने उनके तीन शिष्यों ( आनंद गिरि (नरेंद्र गिरि के शिष्य) आद्या तिवारी (हनुमान मंदिर के पुजारी)संदीप तिवारी (आद्या तिवारी के बेटे) को हिरासत लिया है और पूछताछ जारी है।
महंत नरेंद्र गिरि के शव के साथ पुलिस को पांच पन्ने का सुसाइड नोट भी मिला है। सुसाइड नोट में जिस आनंद गिरी का जिक्र उन्होंने किया है। इस पर आनंद गिरी ने कहा है कि ये उन्हें फंसाने की साजिश की जा रही है। ये मठ की करोड़ों की संपत्ति को हासिल करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने पुलिस हिरासत में जाने से पहले कहा था कि महंत जी और उनके बीच कोई विवाद नहीं था… जो था उसे सुलझा लिया गया था।
महंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में उनके पुराने शिष्य आनंद गिरि के खिलाफ धारा 306 के तहत जॉर्ज टाउन थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। उनपर महंत नरेंद्र गिरी को आत्महत्या के लिए मजबूर कर देना या आत्महत्या के लिए उकसाना का आरोप लगा है।
इस एफआईआर में 2 अन्य लोगों के नाम भी हैं। इस एफआईआर में आरोप है कि आनंद की प्रताड़ना की वजह से ही महंत ने अपनी जान दे दी। अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद अखाड़े में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
ये बात भी सामने आई है
- नरेंद्र गिरी और उऩके शिष्य आनंद गिरी के बीच कई बार संपत्ति और पद को लेकर विवाद हो चुका है।
- तीन महीने पहले मठ और मंदिरों की प्रॉपर्टी को लेकर गुरु-शिष्य का झगड़ा हो गया था।
- आनंद गिरि ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से लेकर गृहमंत्री तक को पत्र लिखकर अखाड़े के विवाद की शिकायत भी की थी।
- आरोप लगाया था कि प्रयागराज के गोपाल मंदिर को भी आधा बेच दिया गया है।
- आनंद गिरि ने मठ और मंदिर की बेची गई जमीनों के करोड़ों रुपये के दुरुपयोग की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की थी।
- इसके बाद महंत नरेन्द्र गिरी ने आनंद गिरी को मठ से बाहर निकाल दिया था।
- कुछ दिनों बाद ही आनंद गिरि ने नरेंद्र गिरी से माफी मांग ली थी।