हल्द्वानी: हिंदुस्तान कहानियों और किस्सों का भंडार है। यहां हर राज्य, जिले, शहर, गांव, कस्बे, गली, मोहल्ले, घरों में अनगिनत किस्से मौजूद हैं। लिहाजा कुछ तो अजीबोगरीब भी हैं। अजीब है अगर आप सुनें कि एक इंसान अपनी पांच करोड़ की संपत्ति अपने बेटे के नहीं बल्कि हाथियों के नाम कर दे। अजीब है मगर मामला सच है।
बिहार दानापुर के जानीपुर निवासी अख्तर इमाम का हाथियों से खास लगाव है। आसपास में हाथी काका नाम से प्रचलित अख्तर इमाम इतना अपने बेटे से प्यार नहीं करते जितना हाथियों से करते हैं। लिहाजा अख्तर इमाम की माने तो हाथी उनके साथी हैं और उनका बेटा नालायक। अख्तर इमाम ने अपने इकलौते बेटे मिराज़ उर्फ पिंटु को जायदाद से बेदखल कर दिया है। इस बात का हाथी काका को कोई भी अफसोस नहीं है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि बेटे ने अख्तर इमाम को बदनाम करने के लिए क्या कुछ नहीं किया। इतना ही नहीं झूठे दुष्कर्म के केस में अपने ही पिता को फंसा कर जेल भिजवा दिया।
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दुखद है अख्तर इमाम के मुंह से यह सुनना कि उनके बेटे ने उन्हें कितना परेशान किया है। अख्तर इमाम बताते हैं कि बेटे मिराज़ ने उनके उपर दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाया था। मिराज़ ने यह आरोप लगाया था कि पिता ने उसकी प्रेमिका के साथ गंदा काम किया। इस की वजह से अख्तर इमाम को जेल की हवा तक खानी पड़ी। मगर सच ज़्यादा देर तलक अंधेरे में नहीं रहता। जांच पड़ताल में जब सभी आरोप झूठे निकले तो अख्तर इमाम बरी हो गए।
हाथी काका ने बताया कि एक बार उनपर जानलेवा हमला हुआ। जिसमें उनकी जान हाथियों द्वारा बचाई गई। हाथियों ने शोर मचाया, पड़ोसी जाग गए और हथियारबंद बदमाशों को भागना पड़ा। दूसरी तरफ हाथी काका बताते हैं कि उनके बेटे मिराज़ ने हाथियों को मारने तक की कोशिश की लेकिन वह पकड़ा गया।
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अपने बेटे की नालायकी से परेशान और हाथियों के प्रेम से खुश हो कर अख्तर इमाम ने अपने खेत खलिहान, मकान, बैंक बैलेंस सब हाथियों के नाम कर दिया। हाथी काका कहते हैं कि उनके ना रहने पर सब हाथियों का हो जाएगा। इतना ही नहीं अगर हाथियों को कुछ हुआ तो लगभग पांच करोड़ की संपत्ति ऐरावत संस्था को मिल जाएगी।
अख्तर इमाम का नाम हाथी काका सही रखा गया है। हाथी काका का यह फैसला वाकई अजीबो गरीब लगे मगर यह उनके हाथियों के प्रति उनका प्यार और समर्पण दिखाता है। उनका कहना है कि मेरा जीवन हाथियों के लिए ही समर्पित है।
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