नई दिल्ली: फौज में प्रवेश करने वाला हर सैनिक अपने देश का ऐसा हिस्सा बन जाता है जिसके ऊपर वो गर्व करता है। उसके लिए उसका परिवार बाद में और देश की सुरक्षा पहले होती है। अपने परिवार को अकेले छोड़कर और खुद कठिन परिस्थियों में रहने की वो आदत बना देते हैं। इसे वो बोज नहीं अपना फर्ज समझते है, तभी तो दुश्मन हमारी धरती पर पांव रखने में आजतक कामयाब नहीं हुआ है।
किन्नौर में हिम-स्खलन की चपेट में आकर नालागढ़ के जवान राजेश ऋषि शहीद हो गए। उनका शव 11 दिन बाद बरामद हुआ। उनका पार्थिव शरीर रविवार को उनके घर पहुंचेगा, जहां सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।राजेश की शहादत की खबर मिलने के बाद से जहां पूरे क्षेत्र में मातम का माहौल है। 25 वर्षीय राजेश की शादी 12 दिसंबर 2018 को हुई थी। दुल्हन की मेंहदी का रंग उतरा नहीं था कि उसका सुहाग उसे हमेशा के लिए छोड़कर चला गया। इस घटना ने पूरे गांव को झंझोर कर रख दिया है। शादी के बाद 28 जनवरी को वह ड्यूटी पर गया था, लेकिन उसके बाद राजेश की कभी न लौट आने की खबर आई है।
राजेश के 20 फरवरी को हिम-स्खलन की चपेट में आकर लापता होने की सूचना मिलने के बाद से उसके परिजन लगातार मंदिर, गुरुद्वारे में जाकर उसकी सलामती की दुआ कर रहे थे। बताया जा रहा है कि पहले पार्थिव शरीर को हवाई मार्ग से पैतृक गांव ले जाने की योजना थी, लेकिन खराब मौसम के कारण सड़क मार्ग को चुना गया है। रविवार सुबह तक शहीद की पार्थिव देह पैतृक गांव पहुंचने की संभावना है। रविवार दोपहर को राजकीय सम्मान के साथ राजेश को अंतिम विदाई दी जाएगी। जानकारी के मुताबिक 20 फरवरी से लापता जैक राईफल के जवान राजेश ऋषि के शहादत पाने और शव के बरामदगी की सूचना राजेश सेना व प्रशासन ने उसके ताया रणदीप सिंह को दी , जिसके बाद बेसुध ताया ने अन्य रिश्तेदारों को इस अनहोनी की इत्तलाह दी। राजेश की माता माया देवी, पिता रणजीत सिंह और पत्नी पिंकी को शनिवार देर शाम तक राजेश की शहादत के बारे में नहीं बताया गाया।राजेश की दिसंबर माह में पिंकी से शादी हुई थी, वह 28 जनवरी को लौटा था। राजेश ने 20 फरवरी को घर पर पत्नी से अप्रैल में छुट्टी लेकर आने की बात कही थी