जयपुर : पिछले दिनों राजस्थान में पटवारी भर्ती परीक्षा और आरएसएस प्री की परीक्षा का आयोजन करवाया गया । जिसे लाखों छात्रों ने दिया था । परीक्षा आयोजन होने से पहले डा.राजेश शर्मा द्वारा यह घोषणा कर दी थी कि इंटरनेट को परीक्षा के चलते शटडाउन किया जाएगा । इसके अलावा और कोई ठोस वजह नहीं दी गई इसी के उपर अब विपक्ष ने सवाल पूछने शुरू कर दिए हैं । भाजपा नेता राज्यवर्घन सिंह राठौर ने सवाल करते हुए कहा कि जम्मू- कश्मीर में पिछले 10 साल में 315 दिन बाद इंटरनेट बंद हुआ है और राजस्थान में 78 बार इसका क्या मतलब है। क्या कश्मीर की तरह ही सरकार इतनी मजबूर थी कि उन्हें यह करना पड़ा । ऐसी कौन सी आतंकी घटनाएं राजस्थान में हो रही थी की नेटबंदी की नौबत पड़ गई ।
आगे राठौर कहते है कि कांग्रेस बार बार जम्मू- कश्मीर की ओर देश का ध्यान आकर्षित करती है और भारत सरकार की तरफ अंगुली उठाती है कि वहां अभिव्यक्ति की आजादी को रोका जा रहा है । लेकिन राजस्थान में कौन सी आतंक की घटनाएं हो रही है कि पिछले एक महीनें में चार बार इंटरनेट बंद किया गया है । राज्यवर्घन राठैर ने कहा कि राहुल गांधी ने 19 दिसंबर 2019 को ट्वीट कर लिखा था कि इस सरकार का कोई अधिकार नहीं की कॉलेज ,इंटरनेट और टेलीफोन बंद कर दे । इसे में मानता हूं कि ये भारत की आत्मा की बेज्जती है । वहीं अब वह राजस्थान में एक महीनें में चार बार बिना किसी ठोस वजह के ने़टबंदी पर चुप हैं । इसका क्या कारण राहुल गांधी देश को देना चाहेंगे ।
नेटबंदी से आमजन से लेकर कारोबार्यों तक को बहुत परेशानी हुई । आनलाईन क्लास कर रहे बच्चें दिन भर क्लास नहीं कर पाए सब कुछ एक तरीके से ठप हो गया था । नेटबंद के कारण आमजन को होने वाली परोशानी को लेकर महिपाल सिघवी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर नेटबंदी पर राज्य सरकार की मनमानी पर रोक लगाने का आग्रह किया है । याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया की वर्ष 2017 में बने नियमों के तहत सिर्फ पब्लिक सेफ्टी और पब्लिक इमरजेंसी की हालात में ही नेटबंद किया जा सकता है । किसी भी बड़ी परीक्षा के दौरान यह हालात लागू नहीं होते । वहीं हाईकोर्ट में वर्ष 2018 में पेश अपने हलफनामे में राज्य सरकार स्पष्ट कह चुकी है कि प्रदेश में परीक्षा के दौरान नेटबंदी नहीं की जाएगी। इसके बावजूद हाल ही भर्ती परीक्षा में कई जिलों में नेटबंदी कर दी गई। इस कारण ऑनलाइन लेनदेन व व्यापार करने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के तर्क सुनने के बाद राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 23 नवंबर तक जवाब पेश करने को कहा है।