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महाशिवरात्रि में रात्रि जागरण का है महत्व, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व पर डाले नजर

नई दिल्ली: शनिवार को शिवरात्रि मनाई जा रही है। सनातन धर्म में शिवरात्रि का अपना ही महत्व है। इस दिन भगवान शिव की पूजा होती है। इस बार यह पर्व 18 फरवरी को मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं की मानें तो इस दिन भगवान शिव ने कैलाश पर्वत पर माता पार्वती से विवाह किया था। महाशिवरात्रि शब्द तीन शब्दों से मिलकर बना है। इसमें महा का अर्थ महान, शिव हमारे देवता और रात्रि का अर्थ रात है।

वहीं एक मान्यता ये भी है कि महाशिवरात्रि की रात भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था। इस नृत्य को सृजन और विनाश की अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि रातभर जागकरण कर शिव और उनकी शक्ति माता पार्वती की पूजा करने वाले भक्तों पर शिव और मां पार्वती की विशेष कृपा होती है। महाशिवरात्रि का रात्रि जागरण से जीवन के तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं। इसलिए महाशिवरात्रि की रात सोना नहीं चाहिए।

वहीं वैज्ञानिक दृष्यिकोण पर गौर करें तो महाशिवरात्रि की रात में ब्रह्माण्ड में ग्रह और नक्षत्रों की ऐसी स्थिति होती है जिससे एक खास ऊर्जा का प्रवाह होता हैय़ रात्रि जागरण करके इस ऊर्जा का उपयोग आत्मचेतना में किया जा सकता है। आध्यात्मिक रूप से बात की जाए तो प्रकृति इस रात मनुष्य को परमात्मा से जोड़ती हैष इसका पूरा लाभ उठाने के लिए महाशिवरात्रि की रात में जागरण करने और रीढ़ की हड्डी सीधी करके ध्यान मुद्रा में बैठने की बात कही गई है।

नोट: जानकारी सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है

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