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उत्तराखंड रोडवेज में चालक-परिचालकों की कमी, यात्रियों को सताएगा बस कैंसल होने का डर!

ऐसे में यात्रियों को होगी परेशानी, उत्तराखंड रोडवेज में चालक-परिचालकों की भयंकर कमी

देहरादून: प्रदेश परिवहन निगम के ऊपर एक बार फिर से मुश्किलों का पहाड़ खड़ा हो गया है। पहले से ही घाटे में चल रहे निगम को त्योहारों के सीजन से आस तो जरूर है। मगर पूरी क्षमता के साथ बस संचालित करने के लिए निगम के पास पर्याप्त संख्या में ड्राइवर व कंडक्टर नहीं हैं। ऐसे में सवाल ये भी है कि नई अनुबंधित सीएनजी बसों को चलाने का वादा निगम कैसे करेगा। अगर इस कमियों को जल्द नहीं भरा जाता है तो बस कैंसल होने के चांस भी बढ़ जाएगा। ऐसे में यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

गौरतलब है कि रोडवेज की हालत किसी से छिपी नहीं है। कोरोना काल ने रोडवेज की पूरी आय को अपनी चपेट में लिया है। अब इसी सब के बीच कंडक्टर और चालकों की कमी भी निगम के आढ़े आने लगी है। बीते दिनों हुई बोर्ड बैठक में बताया गया कि निगम को पूरी क्षमता के साथ बस संचालित करने के लिए 864 ड्राइवर व कंडक्टरों की जरूरत है।

जानकारी के अनुसार निगम की 919 बसों के लिए कुल 2297 ड्राइवरों और इतने ही कंडक्टरों की जरूरत है। इनमें से अभी 2063 ड्राइवर उपलब्ध हैं, जिनमें निगम के 695 ड्राइवर, संविदा के 540 ड्राइवर और विशेष श्रेणी के 869 ड्राइवर उपलब्ध हैं। निगम के पास 234 ड्राइवरों की कमी है। 

कंडक्टरों के लिहाज से देखें तो निगम के 825, संविदा के 236 मिलाकर 1518 कंडक्टर उपलब्ध हैं। 365 अनुबंधित बसों के संचालन के लिए 912 कंडक्टरों की जरूरत है। कुल मिलाकर निगम को 3209 कंडक्टरों की जरूरत है, जिनमें से 2579 ही उपलब्ध हैं। यहां भी निगम के पास 630 कंडक्टरों की कमी है।

आपको पता है कि बीते दिनों निगम ने 361 नई अनुबंधित सीएनजी बसें चलाने का प्रस्ताव रखा है। गौरतलब है कि इन बसों के लिए भी कंडक्टर निगम की ओर से होते हैं। जिसके लिए 902 कंडक्टरों की जरूरत पड़ेगी। पूरा आंकड़ा एक जगह रख कर देखें तो निगम को पुरानी बसों के लिए 864 ड्राइवर-कंडक्टर और नई बसों के लिए 902 कंडक्टरों की जरूरत है। भर्ती की योजना भी अभी अधर में लटकी हुई है।

परिवहन निगम के महाप्रबंधक संचालन दीपक जैन ने जानकारी दी और बताया कि हमारे पास ड्राइवर व कंडक्टरों की कमी है। क्योंकि नई अनुबंधित बसें भी आएंगी, इसलिए कंडक्टर भी चाहिए होंगे। उन्होंने बताया कि प्रस्ताव बोर्ड बैठक में आया था, लेकिन अभी इसमें कुछ क्वैरी है, जिसे दूर करने के बाद इस पर बोर्ड निर्णय लेगा।

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