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उत्तराखंड STF की सबसे बड़ी कार्रवाई,250 करोड़ रुपए की ऑनलाइन ठगी का एक आरोपित गिरफ्तार,जानें मामला


देहरादून: ऑनलाइन ठगी के इतिहास में प्रदेश एसटीएफ की सबसे बड़ी कार्रवाई सामने आई है। विदेशों में बैठे ठगों द्वारा भारतीयों से रुपए डबल करने के नाम पर 250 करोड़ रूप ठगे गए हैं। इस ठगी को मोबाइल एप्लीकेशन के सहारे से अंजाम तक पहुंचाया गया है। विभिन्न राज्यों के पीड़ितों की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एसटीएफ ने एक साथी को गिरफ्तार कर लिया है। अभी और भी लोग गिरफ्तार किए जा सकते हैं।

ठगी का खुलासा एसटीएफ उत्तराखंड ने किया है। उत्तराखंड पुलिस के प्रवक्ता एडीजी अभिनव कुमार बताते हैं कि रोहित कुमार निवासी श्यामपुर और राहुल कुमार गोयल निवासी कनखल हरिद्वार द्वारा साइबर थाने में की गई शिकायत के अनुसार उन्होंने गूगल प्ले स्टोर से पावर बैंक नाम से एक एप्लीकेशन में 15 दिनों में रुपए डबल करने के लिए क्रमश: 91 हजार और 73 हजार रुपये गंवा दिए।

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इसके बाद साइबर थाने में केस होने के बाद जांच पड़ताल शुरू हुई। बैंक खातों, ऑनलाइन वॉलेट समेत धनराशि ट्रांसफर की जानकारी ली गई। जांच में पाया गया कि सारा जमा पैसा रोजर पे और पेयू वॉलेट के माध्यम से आईसीआईसीआई और पेटीएम के एक संदिग्ध खाते में गया है। अब जांच के बाद इस खाते के संचालक पवन कुमार पांडेय निवासी, सेक्टर 99, नोएडा को एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह की अगुवाई में नोएडा से गिरफ्तार किया गया। साथ ही उसके खिलाफ अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया।

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एसटीएफ की जांच से साफ हुआ कि पॉवर बैंक नाम का ऐप फरवरी 2021 से 12 मई 2021 तक चलने के बाद क्रैश हो गया। 50 लोगों ने इसे डाउनलोड कर करीब 250 करोड़ रुपए गंवाए हैं। एसटीएफ के अनुसार यह धनराशि 500 करोड़ या इससे भी ज्यादा होने की आशंका है। यह भी मालूम हुआ कि विदेशों में बैठे व्यापारी भारतीय निवेशकों से दोस्ती कर अपने साथ कमीशन के नाम पर उन्हें जोड़ते हैं। पॉवर बैंक ऑनलाइन लोन प्रदान करती थी मगर अब दावा करती है कि कुछ ही दिन में रुपए डबल हो जाएंगे। बता दें कि भारत के नागरिको के ही बैंक खाते और उनके मोबाईल नम्बर का प्रयोग किया जाता है।

जानकारी के अनुसार शुरुआत में लोगों को धनराशि बढ़कर वापिस मिली। लेकिन सोशल मीडिया पर इसके प्रसार के बाद अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध पूरे देश में फैल गया। हर दिन करोड़ों का ट्रांसफर होने से पुलिस भी एक हद तक भ्रमित रही। दरअसल ठगी में प्रयोग किए गए खाते विभिन्न फर्जी कंपनियों के नाम से रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज में भी रजिस्टर्ड हैं। एसटीएफ ने बताया कि ऐसी ही 25 एप्लीकेशन और हैं, जिनके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।

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