हल्द्वानी:कामयाबी का रास्ता परिश्रम से जाता है। सुविधा ना हो तो रास्ता कठिन जरूर होता है लेकिन नामुम्किन नहीं। सफलता किसी की मोहताज नहीं होती है वो उसी की होती है जिसने परिश्रम से उसे हासिल करनी तमन्ना की होती है। उत्तराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों की जिंदगी के बारे में हर कोई जानता है।
लोगों को अपनी जिंदगी चलाने के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सुविधा केवल सरकार के वादों में नजर आती है लेकिन असल में उनका गांव से कोई नाता ही नहीं होता है। इन सभी कठिनाइयों के बाद भी पिथौरागढ़ के एक छोटे से गांव लेलू के युवाविवेक थरकोटी ने सीडीएस परीक्षा में देश भर में पहला स्थान प्राप्त करके राज्य को गौरवान्वित महसूस किया है।
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जिला मुख्यालय से लगभग छह किलोमीटर दूर लेलू गांव के निवासी विवेक थरकोटी ने इस वर्ष सीडीएस की परीक्षा में देश में अव्वल स्थान प्राप्त किया है। विवेक ने अपनी स्कूल की शिक्षा वड्डा कस्बे के विश्व भारती पब्लिक स्कूल से हासिल की। वह बचपन से होनहार था तो आठवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद घोड़ाखाल सैनिक स्कूल में आगे की पढ़ाई की। इंटर के बाद विवेक ने ठान लिया था कि उसे देश सेवा में जाना है। उसके लिए उसने सीडीएस की तैयारी शुरू कर दी। विवेक ने पिथौरागढ़ महाविद्यालय से बीएससी और एमए करने के बाद सीडीएस परीक्षा में सफलता हासिल की।
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विवेक ने अपनी सफलता रा राज अपने पिता श्याम सिंह थरकोटी और माता निर्मला थरकोटी समेत अपने गुरूजनों को दिया है। बता दें कि विवके के पिता ग्रामीण बैंक में कार्यरत तो वहीं मां शिक्षिका है। विवेक को स्कीइंग, रिवर राफ्टिंग, पर्वतारोहण जैसे साहसिक खेलों में रुचि है। विवके की कामयाबी ने ना केवल कुमाऊं का बल्कि पूरे राज्य का नाम रोशन किया है। उत्तराखण्ड के युवा ने एक बार फिस साबित किया है कि सफलता जितना सुविधा के बिना हासिल होती है उसकी गूंज उतनी ही तेज़ होती है।