देहरादूनः स्वास्थ्य का अधिकार जनता का सबसे पहला अधिकार होतो है लेकिन शहर में बेहतर सवास्थ्य सेवाओं के अभाव में रोजाना हजारों लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। शहर में बीते कुछ दिनों से स्वास्थ्य सेवाऐं चरमरा चुकी हैं। इसके चलते लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं सरकारी अस्पताल का तो भगवान ही मालिक है। अकसर देखा गया है की महज कुछ रुपयों के लिए अस्पताल मरीज को देखने से इंकार कर देता है। चाहे मरीज की हालत कितनी ही खराब क्यों ना हो। ऐसा ही शर्मनाक मामला देहरादून से सामने आया है। जहां महज कुछ रुपयों का इंतजाम ना होने के वजह से एक महिला पेट में मरा हुआ बच्चा लिए दस दिनों तक तक तड़पती रही। महिला का पति अस्पताल से गुहार लगाते रहा, लेकिन उसकी किसी ने मदद नही की।
बता दें कि दून के महिला अस्पताल 10 जुलाई को हरिद्वार निवासी सुनीता को गर्भस्थ शिशु की मौत होने पर भर्ती कराया गया था। सुनीता की हालात नाजुक होने के वजह से डॉक्टरों ने ऑपरेशन के लिए पति विष्णु से खून का इंतजाम करने को कहा था। इसी बीच अस्पताल में आए एक युवक ने मदद का आश्वासन दिया और पीड़िता की मदद को लेकर अस्पताल के कर्मचारियों से सात हजार रुपये जुटा लिए। उसने वादा किया कि महिला के इलाज के लिए जहा भी रुपयों की जरूरत होगी वह देता रहेगा। लेकिन किसी को यह अंदाजा नही था की वह ठग निकलेगा। युवक ने बाहर से पानी लाने का बहाना कहकर वहां से फरार हो गया। वहीं महिला का पति लगातार मदद की गुहार लगाता रहा, लेकिन अस्पताल प्रबंधन में से किसी ने भी उसकी मदद कि लिए हाथ नहीं बढ़ाए।
किसी की मदद ना मिलने पर पति को एक समाजसेवी के बारे में पता चला। पति ने उन्हें फोन कर पूरे मामले की सूचना दी। इसके बाद बुधवार को वे अस्पताल पहुंचे और उन्होने रक्तदान किया। इसके बाद ही महिला का ऑपरेशान हो पाया। सिर्फ कुछ रुपयों की वजह से अस्पताल मरीजों के जिंदगी के साथ खिलवाड़ करता है।
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