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जनप्रतिनिधियों ने गांव से मुंह फेरा, खुद ही सड़क बना रहे हैं अल्मोड़ा सोराल के ग्रामीण


जनप्रतिनिधियों ने गांव से मुंह फेरा, खुद ही सड़क बना रहे हैं अल्मोड़ा सोराल के ग्रामीण

हल्द्वानी: उत्तराखंड में कई ऐसे गांव हैं, जहां देश के आजाद होने के बाद भी सड़क नहीं हैं। लोगों को मुख्य मार्ग पर जाने के लिए खेतों का या फिर कच्चें मार्गों का सहारा लेना पड़ता है। ग्रामीण प्रतिनिधियों के पास कई बार अपील के लिए पहुंचते हैं और चुनाव के वक्त उन्हें भरोसा दिया जाता है लेकिन नतीजों के बाद सब पहले जैसा हो जाता है। लेकिन इन्ही प्रतिनिधियों के भाषण ने कई ग्रामीणों की नई सोच दे दी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब से आत्मनिर्भर भारत की बात कि ये है तब से हर नेता अपने सोशल मीडिया पेज पर इसका जिक्र करता है। आज हमारे पास एक कहानी है अल्मोड़ा जिले के सोराल ( साल्ट) की…. जहां लोगों (अल्मोड़ा सोराल) ने नेताओं के वादों को पीछे छोड़ते हुए सड़क बनाने का कार्य खुद से शुरू कर दिया है। बता दें कि इस गांव में मुख्य मार्ग तक जाने के लोगों को 7 किलोमीटर तक चलना पड़ता है। होने को यह गांव कॉर्बेट पार्क से सटा हुआ है जिसका गुणगान हर वक्त सैलानियों को खींचने के लिए होता है लेकिन जहां के लोग मूल सुविधाओं से दूर हैं।

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ग्रामीणों ने कहा कि पिछले 7-8 दशकों से हम परेशान हैं। गांव में करीब 1500 लोगों का निवास हैं। उनका कहना है कि लगातार मार्ग बनाने के लिए प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के पास जाते-जाते चप्पल रगड़ गई है। हां तो हर कोई बोलता है लेकिन कार्य किसी ने नहीं किया। सोशल मीडिया के माध्यम से विधायक सुरेंद्र जिंह जीना और सांसद अजय टम्टा को भी कई बार अवगत करा चुके हैं। परेशानी का हल तो नहीं मिला लेकिन परेशानी बढ़ती चले गई।

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सबसे ज्यादा आपातकाल में हॉस्पिटल जाने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है। अब ग्रामीणों ने फैसला किया है कि खुद मार्ग का निर्माण करेंगे। रोड बनाने का कार्य शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि अपने इस काम से राज्य भर के लोगों को भी संदेश देना चाहते हैं कि हमारे उत्तराखंड में कई संसाधन हैं लेकिन उसका इस्तेमाल कोई नहीं करना चाहता है। हां लोगों का इस्तेमाल चुनाव के वक्त अच्छे से होता है।

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