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उत्तराखंड:नेपाल से दूरी होगी कम, रेलवे लाइन का विस्तार बढ़ाएगा पर्यटन

देहरादून: प्रदेश के पर्यटन, सिंचाई, संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित नेपाल दूतावास में नेपाल के राजदूत एच.ई. नीलांबर आचार्य और राम प्रसाद सुबेदी मंत्री डीसीएम से भेंट की। उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की ओर से होली की शुभकामनाएं दी और पंचेश्वर डैम सहित अनेक विषयों पर चर्चा की।

कैबिनेट मंत्री ने कहा कि सामाजिक क्षेत्र में भारत नेपाल की खुली सीमा दोनों देशों के संबंधों की विशेषता है, जिससे दोनों देशों के लोगों को आवागमन में सुगमता रहती है। दोनों देशों के नागरिकों के बीच आजीविका के साथ-साथ विवाह और पारिवारिक संबंधों की मजबूत नींव है। इस नींव को ही रोटी बेटी का रिश्ता नाम दिया गया है।

उन्होंने नेपाल के राजदूत से बातचीत के दौरान कहा कि नेपाल, भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी है और सदियों से चले आ रहे भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक संबंधों के कारण हम एक दूसरे के लिए विशेष महत्त्व रखते हैं। भारत और नेपाल हिंदू धर्म एवं बौद्ध धर्म के संदर्भ में समान संबंध साझा करते हैं। दोनों देशों के बीच 1850 किलोमीटर से अधिक लंबी साझा सीमा है, जिससे भारत के पाँच राज्य-सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि बुद्ध का जन्म वर्तमान नेपाल में स्थित लुम्बिनी में हुआ था। बाद में बुद्ध ज्ञान की खोज में वर्तमान भारतीय क्षेत्र बोधगया आए, जहाँ उन्हें आत्मज्ञान प्राप्त हुआ। चूंकि भारत व नेपाल दोनों ही देशों में हिंदू व बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग हैं।

इसके साथ ही रामायण सर्किट की योजना दोनों देशों के मज़बूत सांस्कृतिक व धार्मिक संबंधों का प्रतीक है। इसलिए जरूरी है कि लुम्बिनी (नेपाल) से गोरखपुर (भारत) तक और जनकपुर (नेपाल) से अयोध्या (भारत) के मध्य रेलवे लाइन का विस्तार हो। कोरोना काल में किस प्रकार से दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग से पर्यटन को बढ़ाया जाए इस पर भी व्यापक चर्चा हुई। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि भारत पंचेश्वर डैम सहित नेपाल में विभिन्न विकास योजनाओं में सहयोगी है। इसलिए आवश्यक है कि आपसी मैत्री व सहयोग से हम लोग विभिन्न विकास योजनाओं को लेकर सद्भावना के साथ आगे ब

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