देहरादून: राजधानी में 6 जनवरी को मंत्री के ‘जनता दरबार’ में जहर खाकर पहुंचे बिजनेसमैन की मंगलवार को मौत हो गई। हल्द्वानी के रहने वाले 40 साल के प्रकाश पांडे ने मैक्स हाॅस्पिटल में इलाज के दौरान दम तोड़ा। प्रकाश पांडे ने कथित तौर पर जीएसटी और नोटबंदी से अपने बिजनेस को हुए नुकसान की शिकायत को लेकर जहर खाया था। दोनों चीजों के लागू होने के बाद उनका प्यापार घाटे में चला गया था।
पांडे केंद्र सरकार की नीतियों की शिकायत और उसका विरोध करते हुए जनता दरबार में पहुंच गए। मंत्री सुबोध उनियाल से बात करते हुए उन्होंने अपने नुकसान के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार और उनकी नीतियों को जिम्मेदार ठहराया।
जनता दरबार में मौजूद लोगों ने उन्हें देहरादून के दून अस्पताल पहुंचाया और बाद में उन्हें मैक्स हाॅस्पिटल में भर्ती कर दिया गया था।वो वहां आईसीयू में थे।बताया जहा रहा है कि वो पिछले 6 महीने से काफी कर्ज में डूबे हुए थे और अपने 2 बच्चों की स्कूल फीस भी कई महीनों से नहीं भरी थी। 5 जनवरी को सीएम को लिखे एक पत्र में उन्होंने ये भी लिखा था कि उनका सालाना बैंक ट्रांजेक्शन 60 लाख से 1 करोड़ का हुआ करता था, जो नोटबंदी और जीएसटी के बाद पूरी तरह से खत्म हो गया।
रविवार को देहरादून में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने इस मामले में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पर कानूनी कार्रवाई की मांग की। वहीं बीजेपी ने कांग्रेस को इस संवेदनशील मुद्दे पर सियासत न करने की नसीहत दी।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद प्रकाश पांडे का हालचाल जानने रविवार को उनसे मिलने पहुंचे थे। उन्होंने कहा था कि प्रकाश ने जो समस्याएं उठाई हैं, उन्हें समझने की कोशिश की जा रही है. साथ ही कहा था कि इस पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए।
प्रकाश पांडे इससे पूर्व अपनी व्यथा के बारे में पीएमओ, वित्तमंत्री अरुण जेटली, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ ही चेन्नई की श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी के एमडी को पांच जून को पत्र लिख चुका है, जिसमें उसने लिखा कि उसने कंपनी से तीन ट्रक फाइनेंस करवाए थे। जो उसने हल्द्वानी में गोला खनन और अन्य कामों में लगाए थे। वर्ष 2016 के बरसात, खनन पर रोक और नोटबंदी से कारोबार में भारी घाटा हुआ। जिस कारण वह अगस्त 2016 से ट्रकों की किश्त नहीं दे पा रहा। उसने अगस्त 2016 से मई 2017 ब्याज माफ करने और उस पर लगने वाला चक्रवृद्धि ब्याज रोकने की फरियाद की। उसने कंपनी से ट्रकों के इंश्योरेंस के कागज भी देने को कहा। प्रकाश पांडे के अनुसार पीएमओ ने अगस्त 2017 में उनकी शिकायत पर कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को लिखा। इसकी कापी प्रकाश पांडे को भी दी गई। पांडे के अनुसार इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ना ही कंपनी ने कोई मदद की। मुख्यमंत्री के नाम लिखी गई शिकायत में प्रकाश पांडे ने ये भी कहा कि वह पिछले छह माह से अपनी दो बच्चों की फीस के साथ ही बीमा की किश्त नहीं दे पा रहा है।