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मुख्यमंत्री देने में उत्तराखण्ड को हासिल है महारत


रुद्रपुर- आगामी विधानसभा चुनाव में भाकपा, भाकपा (माले) व माकपा मिलकर चुनाव लडेंगे। इन वामदलों की प्रदेश भर में तकरीबन 25 सीटों पर चुनाव लडऩे की तैयारी है। इस सीटों से इतर अन्य सीटों पर समर्थन का फैसला भी वामदल मिलकर लेंगे। वामदल जनवरी के दूसरे सप्ताह में हल्द्वानी के संयुक्त सम्मेलन से अपना चुनाव शंखनाद करेंगे। इसके बाद ही कुमाऊं और गढ़वाल के प्रमुख शहरों में वामदलों के सम्मेलनों का सिलसिला शुरू होगा।

भाकपा के राज्य सचिव आनंद सिंह राणा, माकपा के राज्य सचिव राजेंद्र सिंह नेगी व भाकपा (माले) के राज्य सचिव राजेंद्र प्रथोली ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जिस तरह की राजनीतिक संस्कृति बीते 16 सालों में कांग्रेस भाजपा ने उत्तराखंड में की है, उसके खिलाफ  लडऩे के लिए आवश्यक है कि विधान सभा का स्वरूप बदले। इसके लिए सशक्त विपक्ष जरूरी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस भाजपा ने पिछले डेढ़ दशक में राज्य को राजनीतिक भ्रष्टाचार में लिप्त कर दिया है। एक से दूसरी पार्टी में दल बदल इसी राजनीतिक भ्रष्टाचार का नमूना है। इसलिए राज्य में बारह विधानसभा क्षेत्र प्रतिनिधि विहीन हो गए हैं। उन्होंने कहा कि इन पार्टियों के अवसरवाद ने उत्तराखंड को मुख्यमंत्री उत्पादक राज्य में तब्दील कर दिया है। सरकार किसी भी पार्टी की रहे पर जमीन, खनन, शराब आदि माफि या हर सूरत में हावी रहते हैं। राज्य बनने के बाद पर्वतीय क्षेत्रों में जिस तरह से पलायन तेज हुआ है यह राज्य में लागू नीतियों की ही वजह से है। उन्होंने गैरसैंण के मुद्दे पर भी जनता से छल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां गैरसैंण में विधानसभा भवन बनाया जा रहा है वहीं देहरादून के रायपुर में भी विधानसभा भवन बनाने की तैयारी है। यह धन की बर्बादी और आमजन से धोखा है। इतना ही नहीं राज्य सरकार पूरी तरह अलोकतांत्रिक कार्य प्रणाली अपनाए हुए है। बामदलों के नेताओं के मुताबिक राज्य के प्रमुख सवालों पर अन्य राजनीतिक दलों से बात करने की संस्कृति यहां विकसित नहीं की गई। कांग्रेस भाजपा की सरकारों ने कृषि भूमि हड़पकर सिडकुलों की स्थापना कर दी है। जहां स्थानीय युवाओं को 70 प्रतिशत रोजगार के आदेश को ठेंगा दिखाया जा रहा है। वर्तमान में सिडकुल श्रम कानूनों की कब्रगाह बन गए हैं। उन्होंने बताया कि कांग्रेस भाजपा की इन्हीं जन विरोधी नीतियों के खिलाफ  एक सशक्त विकल्प के निर्माण के लिए 13 जनवरी को हल्द्वानी, 16 जनवरी को देहरादून, 17 जनवरी को हरिद्वार, 18 जनवरी को टिहरी, 21 जनवरी को रुद्रप्रयाग और 22 जनवरी को गोपेश्वर में वामपंथी पार्टियों के संयुक्त सम्मेलन होंगे।

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