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यात्री भर थी !

जानती हूँ कि मैं अब

किशोरी नहीं रही !

पर कोमलताएं मुझमें
तब से अब कुछ ज्यादा हैं ,

हो सकता है ,तब मैं
भावनाओं के भाव से
अनभिज्ञ थी ,या
स्वप्निल संसार की
एक यात्री भर थी !

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