देहरादून:अफगानिस्तान से तालिबान के कब्जे के बाद जो तस्वीरे सामने आ रही हैं वो दहनीय हैं। हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। इनकी आंच भारत तक पहुंचे, इससे पहले सरकार ने अपने लोगों को बाहर निकालने का ऑपरेशन शुरू कर दिया है। अभी भी सैंकड़ों की तादात में भारतीय अफगानिस्तान में फंसे हैं। कई राज्यों की तरह उत्तराखंड में कई ऐसे परिवार हैं जो अपनों को जल्द भारत में देखना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस पूरे ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए हैं। रविवार को करीब 80 से ज्यादा उत्तराखंड़ी दिल्ली पहुंचे हैं। उनके चेहरों पर खुशी साफ देखी जा रही थी। वही परिजनों ने ईश्वर का धन्यवाद किया। अफगानिस्तान से देहरादून पहुंचे सभी लोगों का उनके परिजनों ने स्वागत किया। करीब 60 लोग देहरादून पहुंचे। तालिबान की काली करतूत बयां करने में उनकी आंखे नम हो गई। बता दें कि अधिकांश भारतीय सेना के पूर्व सैनिक हैं जो कि सेवानिवृत्ति के बाद अफगानिस्तान में नौकरी करने चले गए थे और तालिबान के कब्जे के बाद वहीं फंस गए।
लक्ष्मीपुर के निवासी नितेश क्षेत्री ने बताया कि अफगानिस्तान में हालात नाजुक है। हर कोई वहां से निकलना चाहता है। उन्होंने बताया कि तालिबान के कब्जे के बाद उन्होंने घास और पत्तल के ऊपर सोकर तीन रातें गुजारीं। परदेश से जान बचाकर हम खाली हाथ लौटे हैं। उन्होंने बताया कि डेनमार्क दूतावास के अधिकारियों के सहयोग के वजह से वह बच पाए। उनको स्कॉट के माध्यम से एक होटल में लाया गया। अफगानिस्तान के नाटो और अमेरिकी सेना के साथ पिछले 12 वर्षों से काम कर रहे प्रेमनगर निवासी अजय छेत्री ने बताया कि जान बचाने के लिए तालिबानियों को 60 हजार डॉलर देने पड़े। अफगानिस्तान में फंसे उनके परिचितों को छोड़ने के लिए आंतकियों ने जिंदा छोड़ने के एवज में 60 हजार अमेरिकन डॉलर की मांग की थी। उनकी मांग पूरी करने के बाद तालिबानियों ने उनको एयरपोर्ट तक लाकर छोड़ा।