हल्द्वानी: कोरोना काल में बंद रहे समस्त स्कूल अब खुलने लगे हैं। खास कर 10वीं और 12वीं की आने वाली बोर्ड परीक्षाओं के मद्देनज़र उत्तराखंड सरकार ने पहले ही एसओपी जारी कर दी थी, जिसके बाद पहले हल्द्वानी के सरकारी स्कूलों ने पढ़ाई शुरू करवाई और अब प्राइवेट स्कूलों में भी पढ़ाई शुरू हो गई है। लेकिन मंगलवार को जब प्राइवेट विद्यालय खुले, तो दृश्य कुछ खास नहीं थे।
एक तरफ स्कूल प्रबंधक और सरकार की कोरोना के बीच इतनी तैयारियां रहीं तो दूसरी तरफ लगभग 95 प्रतिशत बच्चों ने स्कूलों में आना उचित नहीं समझा। कोविड के डर के कारण ज़्यादातर स्कूलों में विद्यार्थियों का आंकड़ा दस के पार भी नहीं गया तो कुछ स्कूलों में एक भी विद्यार्थी नहीं पहुंचा। कोरोना से बचाव की पूरी तैयारियां करने के बाद भी स्कूल प्रबंधक और अध्पापक बच्चों का इंतज़ार ही करते रह गए। अभी भी शहर में कुछ कुछ प्राइवेट स्कूल ही खुलने पाए हैं जबकि बाकी स्कूल एक या दो दिन में खुलने की तैयारियां कर चुके हैं। सैनेटाइजेशन समेत कोरोना से बचने की सभी तैयारियां स्कूलों में चल रही हैं।
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स्कूलों से बच्चों की गैर मौजूदगी समझने लायक है मगर इस गैर मौजूदगी से स्कूलों पर खासा फर्क पड़ सकता है। अगर विद्यार्थियों के स्कूल ना आने के कारणों पर प्रकाश डाले तो गौरतरलब है कि सबसे बड़ा कारण तो अभिभावकों का कोरोना के प्रति भय ही है। विद्यालय प्रबंधन और शिक्षकों का भी कहना है कि अभिभावकों के मन में बढ़ते कोरोना मामलों की वजह से डर बैठ गया है इसलिये वे किसी तरह का खतरा मोल नहीं लेना चाहते। दूसरा कारण यह भी रहा कि सरकार की एसओपी में डुअल मोड में पढ़ाई करवाने के निर्देश दिये गए था, जिसकी वजह से छात्रों को घर पर रह कर ऑनलाइन पढ़ाई करना ही उचित लगा।
सबसे प्रमुख कारणों में से एक फीस का मामला भी रहा। दरअसल स्कूल संचालकों ने साफ साफ कहा था कि विद्यार्थी स्कूल आएंगे तो उन्हें पूरी फीस भरनी होगी जबकि ऑनलाइन पढ़ाई में ट्यूशन फीस के अलावा कोई अन्य शुल्क नहीं लिया जाता। पहले कोरोना से डर और फिर डुअल मोड पढ़ाई और फीस का मामला, स्पष्ट है कि इन्हीं कुछ कारणों के चलते स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति नंबरों में काफी कमी देखने को मिली।
विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों के लिये स्कूलों के खुलने का पहला दिन कुछ चुनौतियों भरा रहा। स्कूलों ने ट्रांसपोर्ट व्यवस्था फिलहाल बंद ही रखने का फैसला लिया था जिसके चलते विद्यार्थियों को खुद ही अलग अलग माध्यमों से स्कूल आना पड़ा। कुछ छात्र-छात्राओं को उनके अभिभावक भी छोड़ने आए थे। वहीं शिक्षकों के लिये दिक्कत का सबब रही डुअल मोड पढ़ाई। राज्य सरकार के आदेश के अनुरूप शिक्षकों को ऑफलाइन व ऑनलाइन दोनों मोड़ों में पढ़ाई करवानी पड़ी।
नैनीताल रोड क्वींस पब्लिक स्कूल में पहले दिन सात विद्यार्थी पहुंचे। गरुकुल इंटरनेशनल स्कूल में 14, बीरशिबा में 7, निमोनिक कॉनवेंट में 7 और डीएवी में करीब 16 विद्यार्थी ही पहुंच सके। बता दें कि डीएवी में 10वीं में 101 तो 12वीं में 180 छात्र-छात्राए पंजीकृत हैं।
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