
देहरादून: उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों से पहले आरक्षण प्रस्तावों को लेकर प्रदेशभर में आपत्तियों की भरमार रही। राज्य के 12 जिलों से कुल तीन हजार से अधिक आपत्तियां दर्ज की गईं। देर रात तक इन पर विचार-विमर्श और निस्तारण की प्रक्रिया चलती रही। आज बुधवार को आरक्षण प्रस्तावों का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा।
पंचायत निदेशालय द्वारा प्रकाशित यह सूची 19 जून को शासन को भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ ही प्रदेश में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायतों में आरक्षण की स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। यह तय हो जाएगा कि कौन-कौन से पंचायत पद अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिला या सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित रहेंगे और किन सीटों पर कोई भी प्रत्याशी चुनाव लड़ सकेगा।
आरक्षण के अनंतिम प्रकाशन के बाद राज्य भर से बड़ी संख्या में आपत्तियां सामने आईं। देहरादून जिले से 302, अल्मोड़ा से 294, पिथौरागढ़ से 277, चंपावत से 337, पौड़ी से 354, रुद्रप्रयाग से 90, चमोली से 213, उत्तरकाशी से 383 और टिहरी से करीब 297 आपत्तियां दर्ज की गईं।
ग्रामीणों द्वारा दर्ज की गई आपत्तियों में सबसे अधिक विवाद पंचायतों के आरक्षण वर्ग निर्धारण को लेकर था। कई ग्रामीणों ने मांग की कि उनकी ग्राम पंचायत को अनुसूचित जाति के बजाय सामान्य घोषित किया जाए। वहीं कुछ लोगों का कहना था कि उनकी पंचायत को एससी, एसटी या ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए…ताकि समाज के वंचित वर्गों को प्रतिनिधित्व मिल सके।
कुछ आपत्तियां महिला आरक्षण को लेकर भी सामने आईं…जिनमें कुछ क्षेत्रों में लगातार महिला आरक्षण होने पर बदलाव की मांग की गई। राज्य निर्वाचन विभाग ने इन सभी आपत्तियों की गहन जांच के बाद अंतिम प्रस्ताव तैयार किया है। अंतिम प्रकाशन के साथ ही चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
