हल्द्वानी, मंथन रस्तोगी: कुमाऊं में भी बाल मित्र पुलिस थाने खुलने की शुरआत हो गई है। हल्द्वानी परिसर में नवनिर्मित बाल मित्र पुलिस थाने का उद्घाटन डीआईजी कुमाऊं नीलेश आनंद भरणे द्वारा किया गया। गौरतलब है कि उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के दिशा निर्देशों एवं मानकों के अनुरूप निर्मित थाने के लिए सीआइडी और यूनिसेफ के द्वारा 21 मानक बनाए गए हैं।
आज के दौर में बहुत छोटी सी उम्र में ही बच्चों के हाथों में मोबाइल आ जाते हैं। व्यस्तता के कारण अभिभावक बच्चों पर नजर नहीं रख पाते। उन्हें पता नहीं रहता कि बच्चे की दिनचर्या कैसी है। घऱ में वह क्या कर रहा है। स्कूल में उसका व्यवहार सभी के साथ कैसा है। समय की तंगी और मशीनों के आने से बच्चों पर बुरा असर पड़ रहा है।
18 वर्ष से कम उम्र के युवा कई बार कुछ ऐसी गलती कर बैठते हैं जो कि अपराध की श्रेणी में आती है। ऐसे में अगर युवाओं एवं बच्चों को आम पुलिस थाने ले जाया जाता है तो उनपर गलत असर पड़ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां पर और भी अपराधी मौजूद होते हैं। इस माहौल का उनपर उल्टा प्रभाव हो सकता है।
इसी के मद्देनजर बाल मित्र पुलिस थाने की शुरुआत की गई थी। उत्तराखंड पुलिस का 13 जिलों में बाल मित्र पुलिस थाना खोलने का प्रयास है। इसी क्रम को बनाए रखते हुए कुमाऊं के हल्द्वानी में भी ऐसा थाना खुल गया है। जो केवल 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए होगा। बाल मित्र थाने में एक महिला उपनिरीक्षक दीपा जोशी एवं एक महिला पुलिस कर्मी की नियुक्ति की गई है।
बता दें कि बाल आयोग के सदस्य व बेहतर काउंसलर भी थाने में उपलब्ध होंगे। यहां पर अपराध कर के पहुंचे बच्चों की काउंसलिंग की जाएगी। उन्हें अपराधों से दूर रखने पर जोर दिया जाएगा। यहां बच्चों की सुविधा और उनके खेलने के लिए झूलों और खिलौनों की व्यवस्था की गई है। गौरतलब है कि बच्चों को खेल-खिलौनो का माहौल मिलेगा तो वह अपराधी प्रवृत्ति में अपने व्यवहार को तब्दील नहीं होने देंगे।
अनजाने में अपनी राह से भटक जाने वाले बच्चों को इन थानों में खासा मदद मिलेगी। लाजमी है कि धरती पर मौजूद हर आत्मा पवित्र है। ज्ञान सिद्धि ग्रहण कर चुके संत बताते हैं कि किसी की रूह अपराधी बने रहना नहीं चाहती। ऐसे में रास्ता भूले इन बच्चों को हमें अच्छा माहौल देना होगा। उत्तराखंड पुलिस यही करने की कोशिश कर रही है।
इसके अलावा थाने के बारे में अच्छी बात यह भी है कि यहां बच्चों को Good Touch और Bad Touch में अंतर भी समझाया जायेगा। गौरतलब है कि कई बार बालक-बालिकाएं शारीरिक शोषण के शिकार हो रहे होते हैं, लेकिन समझ ना होने के चलते उन्हें इस बात का अंदाजा ही नहीं होता। गुड टच और बैड टच की समझ देना पुलिस का एक अच्छा कदम है। हो ना हो, बाल मित्र पुलिस थाने में पुलिस अभिभावकों का रोल भी अदा करेगी।
बता दें कि पुलिस अधिकारियों को किशोर न्याय अधिनियम 2015 (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) के अनुरूप कार्रवाई करने तथा बच्चों के हित में अपनी भूमिका निभानी है। इसके तहत यह सुनिश्चित किया जायेगा कि बच्चों के साथ थानों में मित्रवत व्यवहार किया जायेगा और उनके हितों को प्राथमिकता दी जायेगी। लाजमी है कि इस प्रयास से समाज मे जबरदस्त सुधार आएगा।
सहायता हेतु–1098, 112
जिला बाल संरक्षण समिति हल्द्वानी के न०–9756490227
तथा बाल कल्याण समिति न०–9557761277 उपलब्ध है।