नई दिल्ली, मंथन रस्तोगी: बीसीसीआई भारतीय क्रिकेट को कंट्रोल करता है। नियमों के मुताबिक सरकार बीसीसीआई के कामों में दखल नहीं डाल सकती। मगर जाने अंजाने बीसीसीआई की नई टीम भाजपा जैसी दिखती है। सिर्फ बीसीसीआई ही नहीं बल्कि अधिकांश राज्य क्रिकेट बोर्ड पर राजनीति हावी हुई है।
बीसीसीआई के नए पदाधिकारियों की लिस्ट पर नजर डालें तो गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह दोबारा सचिव बन गए हैं। जबकि असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के सहयोगी और सूबे के महाधिवक्ता देवजीत सैकिया संयुक्त महासचिव हैं। इतना ही नहीं मुंबई (बांद्रा) से भाजपा विधायक आशीष शेलार को कोषाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिली है।
शेलार हाल ही में भाजपा द्वारा मुंबई इकाई के प्रमुख भी बनाए गए हैं। उनके अलावा आईपीएल में भी सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर के भाई अरुण धूमल प्रभारी हैं। साथ ही उद्योगपति एन श्रीनिवासन के माध्यम से दक्षिण भारतीयों को खुश करने हेतु चुने गए नए अध्यक्ष रोजर बिन्नी और उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ही इससे अलग हैं।
अब इसे डराने वाली बात कहें या कुछ और कहें, मगर राजनीति का दखल भारतीय क्रिकेट में बढ़ गया है। बीसीसीआई से संबद्ध कई राज्य क्रिकेट संघों पर भी राजनेताओं के रिश्तेदार काबिज हैं। अभी सौरव गांगुली के अध्यक्ष पद से हटने के बाद भी यह सवाल खड़ा हुआ था कि गांगुली ने बीजेपी ज्वाइन करने से इंकार किया है। हालांकि, इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई।