हल्द्वानी: संसार में बदलाव होना एक स्वाभाविक सी बात है मगर बहुत से बदलाव ऐसे होते हैं, जो हमें कभी रास नहीं आते। शारीरिक रूप से बदलाव को देखें तो हमसे पहले की पीढ़ीयों के लोग बीमार ज़रा कम ही पड़ते थे। अगर बीमार पड़ते भी थे, तो उन्हें ज़्यादा दवाईयों की ज़रूरत नहीं पड़ती थी। खान पान से ले कर रहन सहन में आए बदलाव के कारण ही इंसान बीमारियों का घर बनता जा रहा है। चिकित्सकों की सुनें तो मानवीय शरीर की रचना ही कुछ इस प्रकार हुई है कि शरीर का हर एक पार्ट आपस में किसी ना किसी रिश्ते से बंधा हुआ है। शरीर का हर छोटा बड़ा अंग हमारे जीवन की गाड़ी सही सलामत चलाए रखने के लिये अति आवश्यक है, इसीलिए शरीर के हर अंग को स्वस्थ रखना बहुत ज़रूरी है। हमारी बॉडी का एक अभिन्न अंग हमारे दो कान भी हैं। शरीर के किसी भी कोने में दर्द होना, मनुष्य के लिये एक अति दुख दायक समस्या है फिर कान जैसे कमज़ोर अंग में दर्द होना तो असहनीय ही होता है। ऐसी ही कई परेशानियों के हल ढ़ूंढ़ने में सक्षम हैं शहर हल्द्वानी के डॉ एन सी पांडे।
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पिछले काफ़ी समय से हल्द्वानी साहस होम्योपैथिक के डाॅ नवीन चंद्र पांडे, कानों और अन्य अंगों से जुड़ी काफ़ी बीमारियों का सफ़ल ईलाज करते आ रहे हैं। डॉ नवीन चंद्र पांडे के अनुसार कान से पस आना या कान में लगातार दर्द रहना कोई मामूली समस्या नहीं है। समय रहते कान की समस्या का इलाज नहीं करवाना महंगा भी साबित पड़ सकता है। डॉ पांडे ने बताया कि लापरवाही के कारण आगे चल कर कान के अंदर की हड्डियां तक गलने लगती हैं और कई सारे मामलों में पीड़ित को सुनने में दिक्कत भी होनी शुरू हो जाती है। डॉ नवीन चंद्र पांडे ने कान की बीमारी के मुख्य कारणों पर भी प्रकाश डाला। डॉ पांडे ने कहा चूंकि नाक, कान व गले का छेद एक ही होता है, इसलिए इन तीनों अंगों की समस्याओं में एक समन्वय हमेशा नज़र आता है। कान में पानी जाने, इंफेक्शन, लंबे समय से ज़ुखाम रहने की वजह से ही अधिकतर यह तकलीफें उत्पन्न होती हैं। ज़ुखाम या इंफेक्शन के कान में चले जाने के कारण ही कान में मवाद बन जाता है और उसके बाद दर्द रहने लग जाता है। ऐसे में डॉ एन सी पांडे ने कुछ दवाईयां बताई हैं जिनके सेवन से आप ऐसी ही समस्याओं को खुद से दूर कर सकते हैं। ऐसी बीमारी से परेशान लोगों को डॉ पांडे ने एक मुख्य सलाह भी दी है। उन्होंने कहा कि पीड़ित व्यक्ति अपने कान में रुई लगा कर रखें। खास कर नहाते समय कानों में कॉटन के इस्तेमाल को ध्यान में रखें। ज़ुखाम से बचने की कोशिश करें एवं लापरवाही कतई ना बरतें।
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