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गढ़वाली सीखने के लिए नोट्स बना रहे थे पापा…मंच पर भावुक हुई शहीद सीडीएस रावत की बेटी

गढ़वाली सीखने के लिए नोट्स बना रहे थे पापा...मंच पर भावुक हुई शहीद सीडीएस रावत की बेटी

नई दिल्ली: ” पापा गढ़वाली सीखने की कोशिश में लगे हुए थे, इसके लिए वह बकायदा नोट्स बना रहे थे…”। शहीद पिता सीडीएस बिपिन रावत व अपनी मां की याद में जब बेटी तारिणी ने ये बातें बोली तो वायू सेना द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मौजूद हर आंख नम हो गई। बेटी ने भावुकता से पिता जनरल बिपिन रावत के दिल की बात शेयर कीं। ऐसी बातें शेयर कीं जिससे उत्तराखंडवासियों से जनरल बिपिन रावत का रिश्ता साफ झलकता है।

दरअसल दो हफ्ते पहले तमिलनाडू के कुन्नूर में हुए एक हेलिकॉप्टर क्रैश में देश ने अपने 14 सेवकों को खो दिया। सीडीएस बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत हेलिकॉप्टर में सवार 12 अन्य सैन्य अधिकारी शहीद हो गए। शहीद बिपिन रावत मूल रूप से उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल के रहने वाले थे।

पहाड़ में जन्म लेना ही एक बड़ा कारण रहा कि बिपिन रावत सारी उम्र उत्तराखंड के लिए सोचते रहे। उनका सपना था कि वे रिटायरमेंट के बाद पहाड़ों में ही बस जाएं। इतना ही नहीं वे गढ़वाली भाषा भी सीख रहे थे। उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले भारतीय वायु सेना ने शहीद सीडीएस जनरल बिपिन रावत व मधुलिका रावत की याद में एक कार्यक्रम आयोजित किया था।

इस कार्यक्रम में तमाम बड़े बड़े सैन्य अधिकारियों, नेताओं के साथ ही जनरल बिपिन रावत की दोनों बेटियां भी पहुंची थी। स्टेज पर छोटी बेटी तारिणी रावत ने अपने पिता को याद करते हुए कुछ किस्सों को जिक्र किया। उन्होंने बताया कि ” पापा गढ़वाली भाषा सीख रहे थे। उनके जाने से एक दिन पहले ही मैनें उनके बेड के बाजू में एक नोटपैड देखा जिसमें गढ़वाली शब्द लिखे हुए थे। “

” पापा हमेशा ही कुछ ना कुछ सीखना चाहते थे। अगर पापा को कुछ नहीं आता था तो सबसे पहले उन्हें वही चीज सीखने की उत्सुकता रहती थी। ” पिता के एक कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर बेटी तारिणी ने कहा कि, ” एक बार पापा को कहीं पर स्पीच देनी थी, जिसके लिए उन्हें ऑफिस से लिखी हुई स्पीच मिली। लेकिन उन्होंने कहा कि मैं किसी का लिखा हुआ नहीं पढ़ूंगा। इसके बाद उन्होंने रातभर जागकर स्पीच लिखी थी।”

तारिणी ने कहा कि उन्होंने और बड़ी बहन कृतिका ने माता पिता से बहुत कुछ सीखा। खासकर कोविड के दौरान उनसे बातें करने का काफी समय मिला। तारिणी ने कहा कि कभी सोचा नहीं था कि ऐसा भी कुछ हो सकता है। उन्होंने कहा आज माता पिता की वजह से ही उन्हें ना जाने कितने परिवारों का हिस्सा बनने का मौका मिला है। इस कार्यक्रम में जनरल बिपिन रावत के कई दोस्त व सहयोगी शामिल हुए थे। जिन्होंने सीडीएस रावत को श्रद्धांजली देने के साथ उन्हें याद किया।

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