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कांग्रेस की हार का कारण…अपनी ही सीटें नहीं बचा पाए पार्टी के दिग्गज


लालकुआं: मानो जैसे इतिहास बनने के साथ साथ खुद को दोहरा भी रहा हो। ठीक इसी तरह 2022 विधानसभा चुनाव के नतीजे रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने लगातार दूसरी बार उत्तराखंड में सरकार बनाकर ये मिथक तोड़ा कि कोई सरकार यहां दोबारा सत्ता हासिल नहीं कर पाती है। लेकिन गौर से देखें तो आंकड़े 2017 चुनाव के नतीजों से मिलते जुलते हैं। भाजपा ने 47 और कांग्रेस ने 19 सीटें अपने नाम की हैं। लेकिन भाजपा की जीत के साथ साथ कांग्रेस की हार पर खास फोकस है। कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण खुद उनके दिग्गज रहे। वो दिग्गज जो पार्टी को चुनाव लड़ा रहे थे, वही अपनी सीट नहीं बचा सके।

लालकुआं से हरीश रावत हारे

लालकुआं विधानसभा सीट किसी हॉटसीट से कम नहीं थी। कांग्रेस के सबसे बड़े सिपाही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत यहां से चुनाव लड़ रहे थे। हरीश रावत को भाजपा प्रत्याशी डॉ. मोहन बिष्ट के हाथों 17359 वोटों के मार्जिन से करारी हार मिली है। जहां मोहन बिष्ट को 45934 वोट पड़े। वहीं हरीश रावत को केवल 28575 वोटों से संतोष करना पड़ा। तीसरे और चौथे नंबर पर क्रमानुसार निर्दलीय प्रत्याशी संध्या डालाकोटी (3908 वोट) और निर्दलीय प्रत्याशी पवन चौहान (2339 वोट) रहे। ताज्जुब की बात ये है कि हरीश रावत पर कांग्रेस ने अथाह भरोसा किया था। हरीश रावत चुनाव कैंपेन कमिटी के अध्यक्ष थे। कांग्रेस की हार के बाद उन्होंने सारी जिम्मेदारी अपनी मानी है।

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गणेश गोदियाल को श्रीनगर से मिली हार

उत्तराखंड की श्रीनगर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के धन सिंह रावत ने एक बार फिर परचम लहराया है। कांग्रेस के दिग्गज और प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल धन सिंह रावत के प्रतिद्वंदी थे। गणेश गोदियाल को 587 वोटों से हार का सामना करना पड़ा है। 2017 में भी इस निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के डॉ. धन सिंह रावत ने इंडियन नेशनल कांग्रेस के गणेश गोडियाल को 8698 वोटों के अंतर से हराकर सीट जीती थी। लेकिन इस बार कांग्रेस परिवर्तन के झंडे लेकर गली गली गई थी। खुद गोदियाल बतौर अध्यक्ष चुनावों की जिम्मेदारी संभाले हुए थे। ऐसे में उनके खुद की सीट ना जीत पाना भी कांग्रेस की हार का बड़ा कारण माना जा रहा है।

चार बार के विधायक कुंजवाल जागेश्वर से हारे

जागेश्वर विधानसभा सीट 2022 विधानसभा चुनाव के नतीजों से पहले तक कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। इस सीट पर बड़ा उलटफेर हुआ है। जागेश्वर सीट पर कांग्रेस के चार बार से विधायक और दिग्गज नेता गोविंद सिंह कुंजवाल को हार का मुंह देखना पड़ा है। यहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर हुई। लेकिन बीजेपी के मोहन सिंह ने मैदान मार लिया। उन्हें कुल 27530 वोट मिले। वहीं कांग्रेस के गोविंद सिंह कुंजवाल दूसरे नंबर पर रहें। उन्हें 21647 वोट मिले थे। कांग्रेस के गढ़ में चार बार से विधायक रहे वरिष्ठ नेता को 5883 वोटों से मिली इस हार ने पार्टी को बेहद निराश किया है।

गौरतलब है कि सिर्फ दिग्गजों के जीतने से पूरे राज्य के चुनावों की सूरत नहीं बदलती। लेकिन जिस कदर मेहनत और जितने बड़े नारों के साथ कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था। उस लिहाज से दिग्गजों का अपनी ही सीट हार जाना कहीं ना कहीं बहुत सारे सवाल खड़े करता है। हालांकि एक और दिग्गज प्रीतम सिंह की जीत हुई है। किच्छा से तिलकराज बेहड़, जसपुर से आदेश सिंह चौहान, नानकमत्ता से गोपाल सिंह राणा जैसे पुराने नेताओं को जीत मिली है। लेकिन हरीश रावत, गणेश गोदियाल, कुंजवाल के अलावा मंत्री प्रसाद नैथानी, काजी निजामुद्दीन जैसे नेताओं का हारना भी पार्टी के लिए बड़ा अफसोसजनक रहा है।

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