
देहरादून : उत्तराखंड में मानसून ने दस्तक दे दी है और इसी के साथ पंचायत चुनाव की तैयारियों में भी सावधानी बरती जा रही है। जिन दुर्गम और पर्वतीय इलाकों में भारी बारिश का खतरा ज्यादा रहता है, उन्हें इस बार निर्वाचन आयोग ने पहले चरण के मतदान में शामिल किया है, ताकि संभावित आपदाओं के बीच लोकतांत्रिक प्रक्रिया सुचारू रूप से सम्पन्न कराई जा सके।
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि 12 जिलों के 49 विकासखंड ऐसे चिह्नित किए गए हैं…जहां मानसून के दौरान हर साल भारी वर्षा होती है। उन्होंने बताया कि चुनाव की तारीखों को अंतिम रूप देने से पहले आपदा प्रबंधन विभाग और मौसम विभाग के साथ समन्वय बनाकर कार्य किया जा रहा है।
मौसम विभाग से जुलाई के पहले दो हफ्तों के लिए मानसूनी गतिविधियों का पूर्वानुमान मांगा गया है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार मानसून की रफ्तार इस अवधि में अपेक्षाकृत धीमी रहती है, फिर भी सभी मतदान तिथियों के लिए विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई है।
आपदा प्रबंधन की विशेष बैठकआयुक्त ने बताया कि चुनाव प्रक्रिया को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव को विशेष बैठक में आमंत्रित किया गया है। सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे आकस्मिक योजनाएं तैयार करें, जिसमें शामिल होंगे….
पोलिंग बूथों तक सुरक्षित पहुंच के रास्ते
पोलिंग पार्टियों की सुरक्षित आवाजाही
फर्स्ट एड किट की व्यवस्था
चिकित्सकों, दवाओं और एंबुलेंस की ब्लॉक-स्तरीय उपलब्धता
सामग्री की सुरक्षा और आपदा की स्थिति में तत्काल राहत
ज़रूरत पड़ने पर हेलिकॉप्टर की मदद लेने की व्यवस्था भी की जा रही है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त ने स्पष्ट किया कि चुनाव ड्यूटी में लगे किसी भी कर्मचारी की आकस्मिक मृत्यु की स्थिति में 10 लाख रुपये मुआवजे का प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजा गया है।

