पिथौरागढ़: आधुनिक ज़माने में बीमारियों की संख्या में खासा इजाफा हुआ है। बीमारियों के लिए ऐलोपैथी और आयुर्वैदिक इलाज खोजे गए हैं और खोजे जा भी रहे हैं। लेकिन गोमूत्र को हमेशा से तमाम बीमारियों के इलाज में रामबाण माना गया है। बहरहाल अब पांच लाख की लागत से जिले में यहां की पहली गोमूत्र अर्क उत्पादन युनिट लगने जा रही है। जिससे लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा।
प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में पाए जानी वाली बद्री गाय के गोमूत्र की प्रसिद्धि सबसे ज़्यादा मानी जाती है। पिथौरागढ़ में गो पालन काफी संख्या में भी होता है। देखा जाए तो गोमूत्र का अर्क मार्केट में बिक रहा है। कंपनियां इसे निकाल कर बेच रही है। इसी क्रम में अब जिले वासियों को रोजगार देने का तरीका खोजा गया है।
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दरअसल केंद्र सरकार को विकास विभाग ने प्रस्ताव प्रेषित किया था कि जिले में एक गोमूत्र अर्क उत्पादन एवं संग्रहण केंद्र बनाया जा सकता है। जिसे बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम (बीएडीपी) के तहत बनाने का प्रस्ताव था। अब सरकार ने इसे स्वीकृत करते हुए पांच लाख रुपए की धनराशि दी है।
केंद्र कनालीछीना विकास खंड के मिताड़ी गांव में युनिट बनाई जाएगी। इस युनिट में आस-पास के गांवों से गोमूत्र का संकलन कर इसका अर्क निकालने के बाद इसे बाजार में लाया जाएगा। पिथौरागढ़ के जिला विकास अधिकारी गोपाल गिरी ने बताया कि इसके लिए बीएडीपी योजना के तहत पांच लाख की धनराशि प्राप्त हो गई है। जब केंद्र स्थापित हो जाएगा तो निश्चित ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
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