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उत्तराखंड:जांच हेतु सैंपल नहीं दिए तो बंद हो जाएगा ग्रामीणों का घर से बाहर निकलना,DM का सख्त फैसला

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चंपावत: कोरोना ने नाक में दम किया हुआ है, इस बात से हर कोई वाकिफ है। बड़ी संख्या में आमजनों में जागरूकता भी फैली है। लोग टीकाकरण और कोरोना जांचों को लेकर जागरूक हो गए हैं। मगर खासतौर पर ग्रामीण इलाके या पहाड़ी क्षेत्रों में सैंपलिंग के कार्यों में कई बार बाधा आने की खबरें सामने आई हैं। इसी को देखते हुए अब चंपावत में डीएम ने रूल बना दिया है। जिस गांव के लोग सैंपल नही देंगे, उनके गांव को कंटेनमेंट जोन बना दिया जाएगा।

दरअसल ऐसा नहीं है कि जांच हेतु टीमें दूरस्थ क्षेत्रों में नही पहुंच रही हैं। बल्कि वे वहां से बिना जांच किए वापस लौट रही हैं, ये सबसे बड़ी चिंता है। गांव के लोग टीमों को जांच नहीं करने दे रहे हैं। इसी वजह से शासन प्रशासन विभिन्न कदम उठाने पर मजबूर हो रहा है। अब चंपावत के जिलाधिकारी विनीत तोमर ने भी सख्ती शुरू कर दी है।

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डीएम तोमर ने साफ कहा कि कोरोना संक्रमण दर में आई गिरावट को देखते हुए लापरवाही बरतना भारी पड़ सकता है। उन्होंने संक्रमण कम होने के पीछे का कारण गांवों में जांच ना होने को बताया है। डीएम ने कहा कि जनपद के कई गांव में लोग सर्दी जुकाम बुखार से पीड़ित है। लेकिन जब टीम जांच के लिए पहुंच रही हैं तो लोग सैंपलिंग कराने से डर रहे हैं। ऐसे में अगर लोग सैंपलिंग नहीं कराएंगे तो कैसे पता चलेगा कि क्षेत्र संक्रमण मुक्त हो गया है।

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जिलाधिकारी ने ज्यादा से ज्यादा सैंपलिंग कराने की अपील लोगों से की। इसके साथ ही उन्होंने सख्ती दिखाते हुए कहा कि सैंपलिंग नहीं कराने पर जबरन उस गांव को कंटनेमेंट जोन घोषित कर दिया जाएगा। जिसके बाद गांव के सभी लोगों को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। इसीलिए ग्राम प्रधान लोगों को जांच के लिए आगे लाएं।

इसके साथ ही डीएम ने ग्राम प्रधानों से सैंपलिंग टीमों को किसी भी प्रकार की दिक्कत ना होने देने की बात कही। गौरतलब है कि कई गांवों में सैंपलिंग टीम के साथ अभद्रता किये जाने की भी शिकायत आई है। डीएम तोमर ने जानकारी दी कि जिले की करीब पचास प्रतिशत आबादी की जांच हो चुकी है। लोगों में भ्रांतियां दूर करने के साथ ही महामारी से निपटने के लिए सख्ती भी जरूरी है। इसी को देखते हुए डीएम ने यह कदम उठाया है।

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