हल्द्वानी: करीब 11 साल पहले भारत ने इंग्लैंड को उसकी धरती पर टेस्ट सीरीज़ में हराया था। उसके बाद से भारतीय टीम दो दौरे कर चुकी है। साल 2011 और 2014 में जो हुआ उसे हर भारतीय फैंस भूलना चाहता है। इंग्लैंड ने साल 2011 में भारतीय टीम को 0-4 से मात दी, वहीं 2012 में भारत आकर उसे 1-2 से हराकर जले में नमक छिड़क दिया। साल 2014 में भी टीम को हार का सामना करना पड़ा और सीरीज 3-1 से इंग्लैंड के पक्ष में रही। एक बार फिर टीम इंडिया इंग्लैंड दौरे पर गई तो उम्मीदें जगने लगी, फैंस को लगा कि इस बार अंग्रेजों से दोगुना लगान वसूला जाएगा लेकिन शुरूआत हार के साथ ही हुई।
भारत की पहले टेस्ट में हार
भारत को इंग्लैंड ने पहले टेस्ट में 31 रनों से मात देकर 5 मैचों की सीरीज़ में 1-0 की बढ़त बना ली। एक बार फिर बल्लेबाजों ने निराश किया और टीम चौथी 194 रनों का लक्ष्य भी हासिल नहीं कर पाई।
कप्तान विराट कोहली ही ऐसे खिलाड़ी जिन्होंने पूरे टेस्ट मैच में टीम को मुकाबले में खड़ा रखा, नहीं तो टीम की हालात और नाजुक हो सकती थी। विराट कोहली ने पहली पारी में 149 तो वहीं दूसरी पारी में 51 रनों की पारी खेली। कोहली को दूसरे छोर से किसी का साथ नहीं मिला नहीं तो स्थिति कुछ ऐतिहासिक हो सकती थी।
मैच का पूरा हाल
इंग्लैंड ने पहली पारी में 287 रन बनाए। भारतीय टीम की ओर से गेंदबाजी में अश्विन ने 4 , शमी 3 , इशांत और उमेश ने 1-1 विकेट मिला। टीम को यहां पर एक बड़े स्कोर की जरूरत थी, जो इंग्लैंड को मुकाबले से तो दूर करने के साथ सीरीज़ में उसका मनोबल भी गिरा देता लेकिन कहानी वहीं हुई जो साल 2011 से हो रही है। टीम इंडिया एक बार फिर 300 रन बनाने में नाकाम रही। भारतीय टीम पहली पारी में 274 रनों पर सिमट गई। कप्तान विराट कोहली ने एक छोर संभालते हुए 149 रन बनाए। विराट की पारी के बदौलत भारतीय टीम दोबारा मुकाबले में वापस आ गई।
दूसरी पारी में गेंदबाजों ने अपने कप्तान को बिल्कुल भी निराश नहीं किया लेकिन जो बल्लेबाज रन नहीं बना रहे थे उन्होंने रही कसर बेकार फिल्डिंग में पूरी कर दी। जो इंग्लैंड की टीम 87 पर 7 विकेट के स्कोर पर थी उसने 180 रन बना दिए। इंग्लैंड की ओर दूसरी पारी में 63 रन बनाने वाले सेम कुर्रेन का कैच शिखर ने टपका दिया, उस वक्त सेम 13 रनों के स्कोर पर थे। इंग्लैंड की टीम दूसरी पारी में 180 रन ही बना सकी। भारत को जीत के लिए 194 रनो ंकी जरूत थी। गेंदबाजों ने एक बार फि शानदार खेल दिखाया। इंशात 5 ,अश्विन 3 और उमेश ने दो विकेट अपने नाम किए।
दूसरी पारी में एक बार फिर भारतीय बल्लेबाजों ने वहीं किया जिसके लिए उन्होंने पिछले 1 दशक में पहचान बनाई हुई है। ऐतिसाहिक जीत की ओर निशाना लगाकर बैठे फैंस को तीसरे दिन का खेल खत्म होने तक हार दिखने लगी थी। तीसरे दिन विजय 6, शिखर 13, राहुल 13, रहाणे 2 और आश्विन 13 रन बनाकर पवेलियन लौट गए थे। दिन के खत्म होने तक भारतीय टीम का स्कोर 110-5 था। विराट 43 और कार्तिक 18 रन पर नाबाद पवेलियन लौटे। टीम को जीत के लिए 84 रन और चाहिए थे। हार और जीत के बीच केवल एक विराट थे, जो टीम को अकेले आगे ले जा रहे थे। आखिर कब तक एक बल्लेबाज बाकी 10 खिलाड़ियों के रन बनाएगा।
चौथे दिन कार्तिक के 21 रन पर आउट होने के बाद विराट भी 51 रन पर बेन स्ट्रोक्स को अपना विकेट दे बैठे। उस वक्त टीम को जीत के लिए 53 रनों की जरूरत थी। उसके बाद टीवी व मैदान पर मैच देख रहे दर्शकों को पता था कि कोई चमत्कार ही भारतीय टीम से जीत की रेखा पर करवा सकता है। विराट को आउट होने के बाद शमी शून्य, इशांत 11 और हार्दिक 31 रन पर आउट हो गए और मुकाबले को इंग्लैंड ने 31 रनों से अपने नाम कर दिया।