देहरादून: अब से करीब 72 साल पहले स्थापित हुई राजधानी की यमुना कॉलोनी आने वाले भविष्य में केवल एक याद बनकर रह जाएगी। राज्य सरकार ने यदि सिंचाई विभाग का प्रस्ताव माना तो यहां जीर्णशीर्ण भवनों की जगह मल्टीस्टोरी बिल्डिंग खड़ी होगी। कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने प्रस्ताव शासन को भेजने को कहा है।
सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता दिनेश चंद्रा ने भी इसकी पुष्टि की है। रिपोर्ट तैयार कर और प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजेंगे। बता दें कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर यहां ऐसा काम होने जा रहा है। 983 आवासों वाली यमुना कॉलोनी देहरादून की पहचान मानी जाती है। इनमें सिंचाई विभाग, यूजेवीएनएल और राज्य संपत्ति विभाग के आवास शामिल हैं।
याद दिला दें कि साल 2000 में उत्तराखंड राज्य गठन के बाद मंत्रियों के रहने के लिए यमुना कॉलोनी को चुना गया था। तभी से इसे वीवीआईपी कॉलोनी का दर्जा मिला है। बाद में यहां कई सरकारी कार्यालय भी स्थापित किए गए। सिंचाई मंत्री महाराज का कहना है कि कॉलोनी की जीर्णशीर्ण हालत को देखते हुए यहां मल्टीस्टोरी बिल्डिंग निर्माण की सोच है। जहां आवास के साथ कार्यालय और व्यावसायिक प्रतिष्ठान भी होंगे।
बता दें कि इसी साल अप्रैल में लखवाड़-व्यासी बांध परियोजना के डूब क्षेत्र में आने वाले लोहारी गांव ने हमेशा के लिए जल समाधि ले ली थी। करीब 71 परिवारों वाला लोहारी गांव अब इतिहास के पन्नों में ही पढ़ा और देखा जाएगा। इसके बाद अब वीवीआईपी कॉलोनी भी केवल यादों में ही रह जाएगी।