देहरादून: इंजीनियरिंग से जुड़े या जुड़ने वाले छात्रों के लिए जरूरी खबर है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने तकनीकी संस्थानों के छात्रों को राहत दी है। जो छात्र-छात्राएं मान्यता प्राप्त संस्थान में प्रवेश लेने के बाद दाखिला रद्द कराना चाहते हैं, वह अब बिना नुकसान से करा सकते हैं। दरअसल उनको पूरी फीस वापिस मिलेगी।
एआइसीटीई से अपने अंतर्गत आने वाले सभी संस्थानों को उक्त विषय में निर्देश भी दे दिए हैं। ध्यान देने योग्य बात ये है कि केवल 10 नवंबर तक दाखिला वापिस सेने वाले छात्रों को ही उनकी पूरी फीस वापिस दी जाएगी। इसके बाद जो भी छात्र-छात्राएं दाखिला वापिस लेंगे, उ्हें फीस काट कर दी जाएगी।
नए नियमों के अनुसार 10 नवंबर तक दाखिला वापस लेने की स्थिति में छात्रों को अधिकतम एक हजार रुपये प्रोसेसिंग फीस काटकर शेष रकम वापस मिलेगी। अस अवधि के बाद एक हजार रुपये प्रोसेसिंग के अलावा ट्यूशन व हास्टल फीस में 30 फीसद की कटौती के बाद फीस वापस होगी।
इसके अलावा जरूी नियम ये है कि 15 नवंबर तक सीट ना भरने की दशा में उन्हें केवल सिक्योरिटी डिपोजिट की रकम और मूल प्रमाण पत्र ही वापस मिलेंगे। संबंधित संस्थान को छात्र का लिविंग सर्टिफिकेट भी वापस करना होगा। इनके साथ ही बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले इंजीनियरिंग के छात्रों को भी राहत दी गई है। ऐसे छात्रों को अगले सेमेस्टर की फीस नहीं देनी होगी। साथ ही छात्रों को मूल प्रमाण पत्र और रिफंडेबल धनराशि भी सात दिनों के भीतर वापस की जाएगी।
वीर माधो सिंह भंडारी प्रौद्योगिकी विवि के कुलपति डा. पीपी ध्यानी ने बताया कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) के जो नियम हैं, उसे प्रौद्योगिकी विवि पूरी तरह से लागू करता है। बता दें कि विवि से नौ राजकीय व संगठक इंजीनियरिंग कॉलेज और 20 निजी कॉलेज संबद्ध हैं। इनमें हर साल करीब 13 हजार छात्र-छात्राएं दाखिला लेते हैं।