हल्द्वानी: उत्तराखण्ड 17 साल पहले उत्तर प्रदेश से अलग हुआ था। उसने संघर्ष कर हर क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई लेकिन क्रिकेट के क्षेत्र में उसकी सफलता और भविष्य हर बार बीसीसीआई की मान्यता पर रुक गया। उत्तराखण्ड के खिलाड़ी दूसरे राज्य से प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेल अपने को चमका रहे है। इस दिशा में उत्तराखण्ड क्रिकेट प्रेमियों के लिए अच्छी खबर । मान्यता ना मिलने का कराण राज्य में मौजूद क्रिकेट एसोशिएशन ने मतभेद थे लेकिन उन्हें सुलाझा लिया गया है। इस मामलें में क्रिकेट प्रशासक समिति (सीओए) के अध्यक्ष विनोद राय का बयान सामने आया है।
उन्होंने कहा कि कहा 25 अप्रैल को एक बैठक के बाद एडहॉक कमेटी पर फैसला हो जाएगा, जो उत्तराखंड में क्रिकेट का संचालन करेगी। इस कमेटी में प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के कुछ लोगों को भी शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब राज्य के बच्चों की प्रतिभा बर्बाद नहीं होगी। उत्तराखण्ड क्रिकेट को मान्यता का विषय सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है।
राज्य के खिलाड़ियों ने अंडर-19 विश्वकप में अपनी चमक छोटी जिसके बाद सरकार ने भी अपनी ओर से कुछ प्रयास किए, लेकिन इस प्रयास पर दो एसोसिएशन को छोड़कर अन्य दो एसोसिएशनों ने भरोसा नहीं जताया। इसके पीछे दोनों ही एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने अलग-अलग वजह बताई। उत्तराखण्ड में मौजूद क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड और युनाइटेड क्रिकेट एसोसिएशन का विलय भी हो गया।
सीओए ने एक मेल भेजकर जब एसोसिएशनों से जवाब मांगे तो तीन एसोसिएशन ने अपने जवाब भेज दिए। इनमें क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड, उत्तरांचल क्रिकेट एसोसिएशन और उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन शामिल हैं। विनोद राय के अनुसार अक केवल एक एसोसिएशन का जवाब मिलना बाकी है। यह जवाब मिलते ही सुप्रीम कोर्ट में चारों एसोसिएशन के जवाब दाखिल करने के साथ बीसीसीआई अपने सुझाव भी दाखिल कर देगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भेजी गई एफिलेशन कमेटी ने एडहॉक कमेटी का जो सुझाव दिया था उसे ही आधार बनाकर बोर्ड एडहॉक कमेटी गठित करेगा। इसके बाद राज्य की क्रिकेट प्रतिभाओं को दूसरे राज्यों से नहीं खेलना पड़ेगा उन्हें राज्य में ही बड़ा प्लेटफार्म मिलेगा।