हल्द्वानी: पंकज पांडे: खेलों में किसी भी खिलाड़ी की कामयाबी के पीछे एक परिश्रम छिपा होता है जो साधारण खिलाड़ी और चैंपियन खिलाड़ी के बीच का अंतर साबित होता है। कामयाबी के शिखर पर पहुंचने वाले खिलाड़ी को प्रेरणा देने वाले काफी लोग होते है । इस लिस्ट में परिवार और दोस्तों को हर कोई याद करता है लेकिन एक नाम ऐसा है जो पर्दे के पीछे अपनी भूमिका निभाता है। जीं हां हम बात कर रहे कोच यानी गुरू की जो निस्वार्थ अपने शिष्य को कामयाबी की दहलीज पर पहुंचाने के लिए वो सब करता है जो एक पिता घर चलाने के लिए करता है।
हर इंसान के सिर पर जिस तरह पिता का साया होता है उसी तरह एक खिलाड़ी सिर पर कोच अपना साया बना कर रखता है। आज हम एक ऐसे कोच की बात करेंगे जिसने शुरूआत एक छात्र के तौर पर की अपनी मेहनत से वो उत्तराखण्ड का रिकॉर्डधारी गुरु द्रोणाचार्य बन गया। हल्द्वानी के आर्यमान विक्रम बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ लर्निग के ताइक्वांडो व खेल प्रशिक्षक कमलेश तिवारी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। कमलेश तिवारी की रिकॉर्ड बुक की उनकी रिकॉर्ड परिश्रम को बयां करती हैं जो उन्होंने और उनके शिष्यों ने हासिल किए है। कमलेश तिवारी स्कूल में कोच होने के साथ भारतीय ताइक्वांडो टीम के भी कोच रह चुके है। उन्होंने अपनी ताइक्वांडो स्किल से देश ही नहीं बल्कि विदेशों में डंका बजाया हैं।
खिलाड़ी के तौर में कमलेश तिवारी का प्रदर्शन
कमलेश तिवारी ने खिलाड़ी और कोच की भूमिका को शानदर तरीके से निभाया है। खिलाड़ी के तौर पर उनके रिकॉर्ड पर नजर डाले तो कमलेश इंटरनेशल प्रतियोगिताओं में भी पदक हासिल किए है। बात ताइक्वांडो की करें तो उन्होंने इंटरनेशल लेवल में कांस्य और नेशनल लेवल में गोल्ड मेडिल हासिल किया है। ताइक्वांडो के अलावा कमलेश एक धावक भी हैं उन्होंने उत्तराखण्ड स्टेट मास्टर एथेलेटिक नेशनल मीट में तीन पदक हासिल किए हैं। 100 मीटर में गोल्ड, 200 मीटर में गोल्ड और 300 मीटर में सिल्वर मेडल अपनी झोली में डाला। 39 वर्षीय कमलेश तिवारी मौजूदा समय में थायलेंड में होने वाली इंटरनेशनल इंवेट की तैयारियों में जुटे हैं।
बात अगर कमलेश तिवारी की कोच की भूमिका की करें तो यहां उनका द्रोणाचार्य रूप देखने को मिलता है। वो पिछले 14 सालों से आर्यमान विक्रम बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ लर्निग स्कूल के ताइक्वांडो की भूमिका निभा रहे। बिरला स्कूल ने देश हो या विदेश जहां ताइक्वांडो प्रतियोगिता में भाग लिया वहां पदक हासिल किया है।
कमलेश के शिष्यों के डंका हर प्रतियोगिता में बजता है। इस लिस्ट में श्रेया कांडपाल,लोकेश कांडपाल,शुभांगनी साह, दीप्ती पंत,सार्थक बहुगुणा,अनुराग बिष्ट,समृद्धि बहुगुणा, आयुषी, उत्कर्ष बिष्ट,गौरी बिष्ट, रितिका जोशी, गर्वित,जयवर्धन,मानस ,त्रितिक्शा कपिल, अमन और हार्थिक शामिल है। इन सभी खिलाड़ियो को पूरा राज्य इनके ताइक्वांडो के कारनामों से जानता है। वो कोच के तौर पर जर्मनी, सिंगापुर , चीन , मलेशिया,थाइलैंड और कनाडा जा चुके है।
कमलेश की कोचिंग में स्कूल ने हासिल किया है ताइक्वांडो में रुतबा लिस्ट
- 2014 सीबीएसई बोर्ड चैंपियनशिप आगरा
- 2014 ईस्ट जोन चैंपियनशिप
- 2015 एसजीएफआई उपविजेता
- 2015 ईस्ट जोन उपविजेता
- 2016 एसजीएफआई उपविजेता
- 2016 ईस्ट जोन उपविजेता ( बालिका वर्ग)
कमलेश तिवारी की पूरी कहानी ये बहां करती है कि उन्होंने खिलाड़ी और कोच के तौर पर एक शानदार काम किया है। लेकिन कमलेश तिवारी अपनी कोच की भूमिका से ज्यादा संतुष्ट दिखाई देते है। उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत तौर कोई मुझसे कोई भूमिका के बारे में पूछता है तो मैं कोच के तौर पर ही जवाब देता हूं। मेरी कामयाबी के पीछे मेरे शिष्यों का हाथ है क्योंकि हमने हर वक्त एक टीम के रूप में अभ्यास किया है। हर जीत को टीम के रूप में इंजॉय किया है। इससे खिलाड़ियों का मनोबल हर वक्त बढ़ा रहता है। कमलेश एक सफल द्रोणाचार्य है और ये उनके शिष्यों की कामयाबी हम सभी को बताती है।