हल्द्वानी: भारत में क्रिकेट को पूजा जाता है। क्रिकेट धर्म है तो खिलाड़ी फैंस के लिए भगवान। यह खेल देश को एक धागे में बाधे हुए है और वो है विश्वास। टीम इंडिया विश्व में जहां भी खेलती है वो धरती हिंदुस्तान लगने लगती है। ये हम नहीं दुनियाभर के क्रिकेट फैंस भी बोलते हैं।
हल्द्वानी का माहौल भी कुछ ऐसा ही है। शहर के कुछ युवा बड़े स्तर पर भी खेले जहां पर उन्हें करोड़ो लोगों ने देखा है। वो तो राज्य क्रिकेट को बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त नहीं है नहीं तो नतीजे और संख्या अधिक हो सकती थी। बिना मान्यता के भी शहर के युवाओं ने दूसरे स्टेट से खेलते हुए नाम कमाया है। खास बात ये है कि अधिकतर खिलाड़ियों का कनेक्शन हल्द्वानी कमलुवागांजा नियर पेट्रोल पंप स्थित हिमालयन क्रिकेट एकेडमी के कोच दान सिंह कन्याल से है। बता दे कि दान सिंह कन्याल हल्द्वानी स्टेडियम और हल्द्वानी क्रिकेटर एकेडमी से सालों तक जुड़े रहे थे। उन्होंने साल 2012 में हिमालयन क्रिकेट एकेडमी की शुरूआत की। इससे पहले उनके शिष्य़ बड़े स्तर पर अपने नाम की धाक जमाने में जुट गए थे।
आर्यन जुयाल
हिमालयन क्रिकेट एकेडमी के कोच दान सिंह कन्याल भारतीय अंडर-19 टीम के सदस्य आर्यन जुयाल के प्रथम कोच रहे हैं। आर्यन ने विनू मांकड ट्रॉफी 2017 में सबसे ज्यादा रन बनाकर पूरे देश को अपनी बल्लेबाजी कला का हुनर दिखाया।विनू मांकड ट्रॉफी में वो उत्तर प्रदेश की ओर से सबसे ज्यादा 5 मैचों में 401 रन बनाए जिसमें 2 शतक और तीन अर्धशतक मौजूद थे।
विश्वकप के बाद विजय हजारे में भी इस 16 साल के बल्लेबाज का प्रदर्शन शानदार रहा था। आर्यन ने साल 2017-2018 में क्रिकेट कलेंडर में करीब हजार रन बनाए थे। उनका 25 जून से 24 जुलाई तक बेंगलूरू में होने वाले इंडिया अंडर-23 कैंप के लिए चयन हुआ है।
देवेंद्र कुंवर
हल्द्वानी देवेंद्र कुंवर की कायमाबी ने लोगों को बताया कि उत्तराखण्ड का युवा मौका मिलने पर टीम की अगवाई कर सकता है। हल्द्वानी के देवेंद्र ओडिशा फस्ट क्लास टीम के सदस्य है। उन्होंने ओडिशा की अंडर-23 वनडे टीम की कप्तानी भी है। देवेंद्र की साल 2016-2017 सीजन में गोवा के खिलाफ खेली गई 199 रनों की पारी ने कई लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा।
साल 2016-2017 में आयोजित हुई सीके नायडू अंडर-23 प्रतियोगिता में 518 रन बना डाले । इसमें तीन शतक भी शामिल है। वहीं देवेंद्र कुंवर का चयन सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी (2018) के लिए भी हुआ था। उन्होंने ओडिशा से खेलते हुए कई प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन किया।
सौरभ रावत
शहर के सौरभ रावत ओडिशा के लिए रणजी खेलते है। सौरभ बीसीसीआई द्वारा आयोजित नेशनल कैंप का भी हिस्सा रह चुके है। उन्होंने ओडिशा अंडर-19 टीम की कप्तानी भी की है। सौरभ ने साल 2016 में ओडिशा के लिए रणजी खेलना शुरू किया।
उस दौरान उन्होंने अपनी बल्लेबाजी और विकेटकीपिंग दोनों का हुनर दिखाया। अपने प्रथम सत्र में उन्होंने टीम के लिए दो फिफ्टी भी जमाई। सौरभ ओडिशा टीम के नियमित सदस्य हैं।
दीक्षांशु नेगी
दीक्षांशु नेगी ने कर्नाटक प्रीमियर लीग में अपने प्रदर्शन से दिखाया कि क्रिकेट में सफलता अहम है। दीक्षांशु कर्नाटक प्रीमियर लीग के नियमित खिलाड़ी है।
उन्होंने टी-20 कर्नाटक प्रीमियर लीग का डेब्यू हब्ली टाइगर्स से किया था। उसके बाद उन्हें बीजापुर बुल्स ने अपनी टीम में शामिल किया। उन्होंने टी-20 कर्नाटक प्रीमियर लीग में 10 मुकाबलों में 212 रन बनाए है। इसके अलावा उन्होंने दो विकेट भी हासिल किए है।
एकेडमी के कोच दान सिंह कन्याल पिछले 18-20 साल से शहर में प्रतिभाओं को तलाश रहे हैं। खिलाड़ियों की कामयाबी पर उन्होंने कहा कि क्रिकेट देखने में आसान लगता है लेकिन असल में पिक्चर कुछ और होती है। उन्होंने बताया कि खिलाड़ियों ने स्टेट को मान्यता ना होने के बाद भी अपनी प्रतिभा को उस देश में सामने रखा है जहां की संख्या 125 करोड़ से ज्यादा है और हर घर का युवा क्रिकेटर बनने का सपना देखा जाता हैं।
दान सिंह कन्याल के अनुसार अगर राज्य को बीसीसीआई से मान्यता प्राप्त होती तो हमारे कई खिलाड़ी नेशनल टीम में होते । उन्होंने कहा कि राज्य के कई युवा उत्तराखण्ड का नाम रोशन कर रहे है और अब सरकार कि जिम्मेदारी बनती है कि उन्हें मान्यता का तोहफा दिया जाए। राज्य के खिलाड़ियों ने अगली पीढ़ी के युवा खिलाड़ियों को रास्ता दिखाया है। उन्होंने कहा कि हम क्रिकेटर बनने का सपना देखा करते थे जिसे हमारा युवा खिलाड़ी पूरा कर रहे हैं।