हल्द्वानी: एक बार फिर राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी का मान पूरे प्रदेश में बढ़ा है। दरअसल इस कॉलेज में स्थित लैब अब उत्तराखंड की पहली लैब बन गई है जहां रूबेला और मीजल्स, दोनों की ही जांच हो सकेगी। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सीपी भैंसोड़ा के लिहाज़ से विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस लैब को अपनी लिस्ट में शामिल करना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।
रूबेला और मीजल्स की बात करें तो यह एक तरह का खसरा होता है। यह दोनों ही बीमारी बच्चों के लिए खतरनाक मानी जाती हैं। बता दें कि इस भयंकर बीमारी में विकलांग होने तक का डर रहता है। होता यह है कि अगर कहीं भी इन बीमारियों के लक्षण नज़र आते हैं तो डब्ल्यूएचओ की टीम द्वारा उनके सैंपल लेकर लैब को भेजा जाते हैं। जहां इसकी जांच होती है। बहरहाल अब हल्द्वानी स्थित लैब भी इन दोनों बीमारियों की जांच करेगा।
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मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सीपी भैंसोड़ा ने डॉ. विनीता रावत और उनकी टाम को इस बात के लिए बधाई भी दी। डॉ. विनीता रावत राजकीय मेडिकल कॉलेज में साल 2017 में स्थापित वीआरडीएल लैब की चीफ एनालिस्ट हैं। साथ ही प्राचार्य सीपी भैंसोड़ा ने कहा कि राज्य स्तर के सैंपलों की जांच अपने ही राज्य में होने से खासा लाभ मिलेगा। कॉलेज को इसी तरह के जोश की ज़रूरत है।
डॉ. विनीता ने जानकारी दी कि यह लैब एतिहासिक लैब है। उत्तराखंड में पहली कोरोना आरटीपीसीआर जांच यहीं हुई थी। अब इसमें कई एक बीमारियों की टेस्टिंग की जाती है। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अनुमति देने से पहले तीन बार सैंपलों की जांच की प्रक्रिया को परखा था। उसके बाद लैब को मीजल्स व रूबेला जांच की अनुमति दे दी गई है। इस तरह के नमूनों की जांच करने वाली यह उत्तराखंड की एकमात्र लैब होगी।
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