देहरादून, उत्तराखंड चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी इन दिनों चर्चाओं का केंद्र बने हुए हैं आलम यह है कि दून अस्पताल जितना विशालकाय है उतना ही वहां भवनों का निर्माण एवं उपकरणों की स्थापना भी है अब भला एक ही अस्पताल के अलग-अलग भवनों का लोकार्पण कितना वाजिब है वह भी तब जब 189 करोड़ की लागत से बने हुए भवन सिर्फ डिजाइन पर निर्भर हों।। उस भवन में मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध ना हो।। दून मेडिकल कॉलेज में बने नए ओ टी भवन में ऑपरेशन के लिहाज से खासा महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट स्टरलाईजेशन डिपार्टमेंट होता है लेकिन यह करोड़ों के भवन में स्थापित नहीं किया गया है अब इस पर दून के प्राचार्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग के निदेशक अलग ही तर्क दे रहे हैं उनके अनुसार बिल्डिंग का डिजाइन जिस प्रकार किया गया था वो तमाम सुविधाएं यहां मौजूद हैं संबंधित व्यवस्था के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उनके पास जवाब देते नहीं बना अब भला 189 करोड़ की लागत से तैयार ओटी भवन में जब मूलभूत सुविधाएं नहीं है तो भला सरकारी बजट कहां खर्च हो गया।। भवन निर्माण में कई बार बजट रिवाइज तक करना पड़ा जो बताता है कि लापरवाह अधिकारियों की कार्यशैली के चलते सरकार को करोड़ों रुपए का नुकसान तक झेलना पड़ा ।। अब अधिकारी इसे उपलब्धि बता रहे हैं जबकि सरकारी धन विवादित उत्तर प्रदेश निर्माण निगम पर दोनों हाथों से लुटाया गया है।। काम अधूरा लेकिन लोकार्पण तत्काल कराना भी बेहद जरूरी था अधिकारी इसे भी अपनी उपलब्धि के रूप में जोड़ रहे हैं जबकि सालों से निर्माणाधीन भवन पर तमाम विवाद हुए और उसके बाद भी वाहवाही लूटने का मौका ना छोड़ना बताता है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग किस दिशा में विकास कर रहा है।। साल 2016 में सीएम रहते हुए हरीश रावत ने दून मेडिकल कॉलेज का लोकार्पण किया, उसके बाद 2019 में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ओपीडी ए ब्लॉक का लोकार्पण किया और अब ओ टी भवन का लोकार्पण होना है।।