भले ही हमारे देश में वेस्टर्न कल्चर का प्रभाव अपनी जगह बना चुका है लेकिन उत्तराखंड के जड़ों को हिलना जरा भी आसान नहीं। यहां की संस्कृति और रीति-रिवाज को मॉडर्न जमाने के साथ भी बखूबी संजो के रखा जाता है। उत्तराखंड में विवाह सिर्फ दो व्यक्तियों का नहीं, बल्कि दो परिवारों का मिलन भी माना जाता है जहां कल्चर व मान मर्यादा को सर्वोपरी रखा जाता है।
हमारे देश में में विवाह को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में एक माना गया है जिसमें किसी तरह की ढील या नासमझी की उम्मीद नहीं की जा सकती है, सबसे पहले इसमें ज्योतिष और कुंडली मिलान का विशेष स्थान है। वैदिक परंपरा के अनुसार, कुंडली मिलान विवाह की नींव मानी जाती है, जिसमें 36 गुणों का मिलान किया जाता है।
आज के ऑनलाइन वाले दौर में रिश्ते भी ऑनलाइन प्रोफाइल बनाकर खोजे जा रहे हैं, मैट्रिमोनीयल वेबसाइट जैसे शादी डॉट कॉम, जीवनसाथी डॉट कॉम से लेकर byoli.com आदि के माध्यम से रिश्ते मिल रहे हैं लेकिन उत्तराखंड के जिम्मेदार माता पिता, बिना कुंडली मिलान के अपने बच्चों की बात को आगे नहीं बढ़ने देते हैं।
लेकिन क्या सभी 36 गुणों का मिलना जरूरी है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर 18 या उससे अधिक गुण मिलते हैं, तो शादी को शुभ और सफल माना जाता है। हालांकि, 36 गुणों का पूरा मिलना बेहद दुर्लभ होता है। बदलते दौर में दो लोगों की आपसी समझ और तालमेल माईने रखती है, सिर्फ कुंडली मिलान को भी आधार नहीं बनाया जा सकता है, यह स्वभाविक भी नहीं कि ज्यादा से ज्यादा गुणों के मिलान वालों के बीच सब ठीक रहता है।
कुंडली मिलान में 36 गुणों का महत्व
कुंडली मिलान में वर और वधू की जन्मपत्री के आधार पर 36 गुण देखे जाते हैं। इन्हें 8 वर्गों में बांटा गया है, जिन्हें अष्टकूट भी कहते हैं:
वर्ण: सामाजिक स्तर और मानसिक सामंजस्य
वास्य: आपसी आकर्षण और प्रभाव
तारा: स्वास्थ्य और दीर्घायु
योनि: शारीरिक अनुकूलता
ग्रहमैत्री: मानसिक समझ
गण: स्वभाव और विचारधारा
भकूट: बच्चों और वैवाहिक सुख
नाड़ी: स्वास्थ्य और संतान से जुड़े पहलू
सभी 36 गुण मिलना शुभ है या नहीं?
उत्तराखंड में 36 गुणों का पूरा मिलान शुभ योग माना जाता है, लेकिन यह शादी की सफलता की गारंटी नहीं देता। कई बार कम गुण मिलने पर भी शादियां सफल होती हैं क्योंकि पति-पत्नी के बीच भावनात्मक जुड़ाव, सहनशीलता और समझदारी अधिक मायने रखती हैं।
आज के दौर में विवाह से पहले जीवनसाथी को समझना और जानना ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। लोग अब केवल कुंडली पर निर्भर नहीं रहते, बल्कि व्यक्तिगत गुण, शिक्षा, परिवार और भविष्य की योजनाओं पर भी ध्यान देते हैं।
नाड़ी दोष और इसके उपाय
36 गुणों में नाड़ी दोष सबसे महत्वपूर्ण होता है। यदि इसमें दोष हो, तो इसे अशुभ माना जाता है, लेकिन ज्योतिष में इसके उपाय उपलब्ध हैं। ज्योतिषाचार्य से परामर्श लेकर इन दोषों का निवारण किया जा सकता है।
गुण मिलान शादी की सफलता के लिए एक दिशा दिखाता है, लेकिन आपसी समझ, प्रेम और सम्मान ही शादी का मूल आधार हैं। 18 या उससे अधिक गुण मिलने पर शादी को शुभ माना जा सकता है, लेकिन विवाह का असली आधार दंपति के बीच भावनात्मक जुड़ाव और परस्पर सम्मान है.