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पाकिस्तान का समर्थन करने वाले तुर्की को झटका, JNU ने स्थगित किया समझौता


Pakistan:Turkey: JNU: भारत और तुर्की के बीच हालिया बढ़ते तनाव ने शैक्षणिक सहयोग पर भी असर डालना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान को तुर्की द्वारा खुला समर्थन दिए जाने के बाद, भारत में इस पर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। खास तौर पर तुर्की के इस रुख से भारत की जनता और कई संस्थानों में नाराजगी है।

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इसी कड़ी में देश की प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्था जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने तुर्की के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ अपने चल रहे समझौता ज्ञापन (MoU) को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों’ के चलते अगली सूचना तक निलंबित कर दिया है। यह जानकारी जेएनयू प्रशासन द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से साझा की गई।

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जेएनयू द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है –

राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कारणों के मद्देनज़र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और इनोनू विश्वविद्यालय, तुर्की के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन को अगले आदेश तक स्थगित किया जाता है।

यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब तुर्की ने कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान का समर्थन करते हुए भारत के खिलाफ बयानबाज़ी की है, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को लेकर। तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन द्वारा संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर पाकिस्तान का पक्ष लिए जाने को भारत ने अपनी आंतरिक नीति में हस्तक्षेप माना है।

विशेषज्ञों का मानना है कि जेएनयू का यह कदम केवल एक शैक्षणिक निर्णय नहीं है, बल्कि यह भारत की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने का प्रतीक है। इससे यह संकेत भी जाता है कि भारत अब अपने शैक्षणिक और सांस्कृतिक सहयोग में भी रणनीतिक संतुलन को महत्व देने लगा है।

इस घटनाक्रम के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि अन्य भारतीय विश्वविद्यालय और संस्थान, जो तुर्की की शैक्षणिक संस्थाओं के साथ साझेदारी में हैं, क्या रुख अपनाते हैं।

भारत-तुर्की संबंधों में यह नया मोड़ दोनों देशों के बीच शिक्षा, संस्कृति और कूटनीति के क्षेत्रों में भविष्य के सहयोग को प्रभावित कर सकता है।

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